अम्लपित्त (एसिडिटी) या हाइपरएसिडिटी का उपचार क्या है

अम्लपित्त, पित्त की अधिकता पित्तवर्धक खाना ज्यादा खाने से, गर्म-मसालों के खाने से, पाचन की कमजोरी से, दूषित खाने या बासी खाने से हो सकता है।

अम्लपित्त, हाइपरएसिडिटी को कहते है। यह एक पित्त विकार है। इस रोग में शरीर में पित्त की कुछ वज़हों से अधिकता हो जाती है और कुपित होकर यह अम्लीय या खट्टा हो जाता है। अम्लपित्त दो शब्दो से मिलकर बना है, अम्ल = खट्टा + पित्त, तो जिसमें पित्त खट्टा हो जाए वही अम्लपित्त है। सामान्य पित्त बिना दुर्गन्ध, नील वर्ण, पीले वर्ण, गर्म तथा कटु होता है। विकृत होने पर ही यह खट्टा या अम्ल-रस का होता है।

पित्त की अधिकता पित्तवर्धक खाना ज्यादा खाने से, गर्म-मसालों के खाने से, पाचन की कमजोरी से, दूषित खाने या बासी खाने से हो सकता है। दो अलग तासीर के भोजनों का साथ में सेवन, मल-मूत्र के वेग को रोकना, ज्यादा नमक खाना, गुस्सा करना, तनाव होना, ज्यादा अचार, चटनी से भी अम्लपित्त हो सकता है। धूप में ज्यादा रहने, ज्यादा पैदल चलना भी इसका कारण माना गया है।

Amlapitta or hyperacidity is condition in which the level of acid in the gastric juices is excessive, causing discomfort. The symptoms of acidity include acidic eructation, burning in abdomen, chest and throat, indigestion and constipation. It may be caused by eating very sour or acidic foods or liquids, eating incompatible food combinations, stale food, sun, excessive work, stress, anger, hot, spicy, sour, greasy foods and spices, alcohol, too many sweets and overeating etc.

अम्लपित्त होने के कारण | Reasons for Acidity in Hindi

आयुर्वेद में अम्लपित्त होने के विभिन्न कारण बताये गए हैं। निम्न कारणों से पित्त कुपित हो सकता है:-

  • तली-चटपटी-मसालेदार-गर्म भोजन आदि का सेवन
  • कड़वे-खट्टे-नमकीन-तीखे भोजन
  • भारी भोजन
  • सरसों, तिल, कुल्थी का सेवन
  • अधिक मांस का सेवन
  • खट्टी दही, खट्टे फल खाना
  • ज्यादा नमक का सेवन
  • क्रोध, चिंता, स्ट्रेस
  • अधिक दिमागी काम
  • ज्यादा काम करने से, भूखा रहने से
  • अनियमित भोजन करना
  • मल-मूत्र का वेग रोकना
  • सर्दियों में दिन में अधिक सोना

अम्लपित्त के लक्षण | Symptoms of Acidity in Hindi

अम्लपित्त में खट्टी डकारें आती है। पित्त जो की पेट से मुंह की तरफ आता है वह अम्लीय या खट्टा होता है और गले के पीछे जलन करते हुए मुंह का स्वाद बिगाड़ देता है। पित्त ज्यादा होने पर सीने में जलन होती है और पेट में भारीपन लगता है। भूख नहीं लगती और भोजन देर तक नहीं पचता। जी मिचलाना और उलटी भी हो जाती है। पित्त ज्यादा होने पर मल तरल सा हो जाता है और शरीर में जलन होती है। सर में दर्द तक हो जाता है। पसीना अधिक आता है और दर्द रहता है।

  • खट्टी डकार
  • मितली, उल्टी जिसमे कड़वा खट्टा पदार्थ निकलता है
  • गैस, छाती में जलन
  • खट्टी डकारें
  • शरीर में जलन
  • बेचैनी, घबराहट
  • पेट में भारीपन
  • अच्छा न लगना
  • अपच
  • रोग पुराना होने हर अल्सर

अम्ल-पित्त में भोजन

  • अम्लपित्त में पित्त बढ़ाने वाले और खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चाय, काफी, बासी भोजन, प्रकृति विरुद्ध आहार, खट्टी दही, इमली, अमचूर, सिरका, प्याज़, लहसुन भी नहीं खाने चाहिए।
  • चटपटे, भोजन , चाट-पकौड़ी, गोल-गप्पे का सेवन अम्लपित्त की शिकायत को जन्म देता है। अतः इनसे परहेज रखना चाहिए।
  • छाछ न पियें।
  • शराब का सेवन और धूम्रपान न करें।
  • एक बार में ज्यादा भोजन न खाएं अपितु कम भोजन कई बार में लें।
  • पित्त कम करने वाले भोजन का सेवन करें।
  • अधिक पित्त में घी का सेवन लाभदायक है। दूध में २ चम्मच घी मिलकर सेवन करने से एसिडिटी कम होती है। जिन्हें अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या न हो वह घी का उचित प्रयोग कर अम्लपित्त कम कर सकते हैं। याद रखें ज्यादा कोलेस्ट्रोल और दिल की बीमारियाँ होने पर घी का सेन न करें।
  • पुराना चावल, आटा, दूध, हरी सब्जी, और मीठे फलों का सेवन लाभप्रद है।
  • आंवले का सेवन जूस या पाउडर के रूप में सेवन से अम्लपित्त में राहत मिलती है। आंवला शीतल है और अधिक पित्त को शांत करता है। इसमें एंटी-अल्सर गुण पाए जाते हैं।

अम्लपित्त के लिए घरेलू उपचार | Home remedies in Hindi

  • आंवले रस, जूस का सेवन पिए।
  • त्रिफला चूर्ण + कुटकी + मिश्री, बराबर मात्रा में मिलाकर, १ चम्मच की मात्रा में रोज़ रात को सेवन करें।
  • पिप्पली चूर्ण + मिश्री, १ चम्मच की मात्रा में सेवन में सेवन करें।
  • हरीतकी चूर्ण + शहद का सेवन भोजन बाद करें।
  • नारियल पानी का सेवा करें।
  • ठंडा पानी + चीनी मिलाकर पियें।
  • एलो-वेरा का सेवन भी पित्त को कम करता है।
  • गिलास भर ठंडा दूध धीरे-धीरे सिप करके सोने से पहले पीने से अम्लपित्त नियंत्रित होता है।
  • घी, सुकुमार घृत, शतावरी घृत का सेवन लाभप्रद है।
  • कुष्मांडा के फल का जूस १०-२० ml मात्रा में पीना लाभप्रद है।

और अधिक एसिडिटी के घरेलु उपचार और खान पान के बारे में इस पोस्ट में पढ़ें।

अम्लपित्त की आयुर्वेदिक दवाएं | Ayurvedic Medicines for Amlpitta in Hindi

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