अम्लपित्तान्तक लौह के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

अम्लपित्तान्तक लौह, एक आयुर्वेदिक रस औषधि है जिसे अम्लपित्त की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। भैषज्य रत्नावली में इस दवा का विवरण दिया गाया है।

अम्लपित्तान्तक लौह, एक आयुर्वेदिक रस औषधि है जिसे अम्लपित्त की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। भैषज्य रत्नावली में इस दवा का विवरण दिया गाया है। इसे शुद्ध पारे, गंधक, मंडूर, कान्त लौह, अभ्रक और आंवले के रस से बनाया गया है।

अम्लपित्त क्या है?

अम्लपित्त, हाइपरएसिडिटी को कहते है। अम्लपित्त दो शब्दो से मिलकर बना है, अम्ल = खट्टा + पित्त, तो जिसमें पित्त खट्टा हो जाए वही अम्लपित्त है। इस रोग में शरीर में पित्त की कुछ वज़हों से अधिकता हो जाती है और कुपित होकर यह अम्लीय या खट्टा हो जाता है। सामान्य पित्त बिना दुर्गन्ध, नील वर्ण, पीले वर्ण, गर्म तथा कटु होता है. विकृत होने पर ही यह खट्टा या अम्ल-रस का होता है।

पित्त की अधिकता पित्तवर्धक खाना ज्यादा खाने से, गर्म-मसालों के खाने से, पाचन की कमजोरी से, दूषित खाने या बासी खाने से हो सकता है।

दो अलग तासीर के भोजनों का साथ में सेवन, मल-मूत्र के वेग को रोकना, ज्यादा नमक खाना, गुस्सा करना, तनाव होना, ज्यादा अचार, चटनी से भी अम्लपित्त हो सकता है।

धूप में ज्यादा रहने, ज्यादा पैदल चलना भी इसका कारण माना गया है।

अम्लपित्त में खट्टी डकारें आती है। पित्त जो की पेट से मुंह की तरफ आता है वह अम्लीय या खट्टा होता है और गले के पीछे जलन करते हुए मुंह का स्वाद बिगाड़ देता है।

पित्त ज्यादा होने पर सीने में जलन होती है और पेट में भारीपन लगता है। भूख नहीं लगती और भोजन देर तक नहीं पचता। जी मिचलाना और उलटी भी हो जाती है।

पित्त ज्यादा होने पर मल तरल सा हो जाता है और शरीर में जलन होती है। सर में दर्द तक हो जाता है। पसीना अधिक आता है और दर्द रहता है।

अम्ल-पित्त में भोजन

अम्लपित्त में पित्त बढ़ाने वाले और खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

चाय, काफी, बासी भोजन, प्रकृति विरुद्ध आहार, खट्टी धी, इमली, अमचूर, सिरका, प्याज़, लहसुन भी नहीं खाने चाहिए।

चटपटे, भोजन , चाट-पकौड़ी, गोल-गप्पे का सेवन अम्लपित्त की शिकायत को जन्म देता है। अतः इनसे परहेज रखना चाहिए।

आंवले का सेवन जूस या पाउडर के रूप में सेवन से अम्लपित्त में राहत मिलती है। आंवला शीतल है और अधिक पित्त को शांत करता है। इसमें एंटी-अल्सर गुण पाए जाते हैं।

Amlapittantak Lauha is a herbominal Ayurvedic medicine referenced from Bhaisjya Ratnavali. It is indicated in treatment of Amlapitta. Amlapitta or hyperacidity is a condition in which the level of acid in the gastric juices is excessive, causing discomfort, pain and burning sensation. This medicine is taken in dose of 1-2 tablet after meal with Ghee, honey.

Here is given more about Amlapittantak Lauha, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

अम्लपित्तान्तक लौह के घटक | Ingredients of Amlapittantak Lauha in Hindi

The formulation of Amlapittantak Lauha (Bhaishjya Ratanavali):

  • पारद Shuddha Parad 1 Part
  • गंधक Shuddha Gandhak 1 Part
  • मंडूर Mandur Bhasma 1 part
  • कान्त लौह Kanta lauha Bhasma 1 Part
  • अभ्रक Abhraka bhasma 1 Part
  • आंवला रस Amlaki (Q. S.)

अम्लपित्तान्तक लौह के लाभ | Benefits of Amlapittantak Lauha in Hindi

  • यह दवा अम्लपित्त को नष्ट करती है।
  • यह दर्द, पित्त विकार को दूर करती है।
  • यह शरीर में रक्त को बढ़ाती है।
  • इसके सेवन से शरीर पुष्ट होता है।

अम्लपित्तान्तक लौह के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Amlapittantak Lauha in Hindi

  • अम्लपित्त, एसिडिटी के साथ उल्टी
  • खट्टी डकार, अपच, अतिसार
  • आमाशय रस में अत्यधिक एसिड
  • सीने में जलन Heartburns
  • शरीर में जलन
  • सिरदर्द, माइग्रेन के साथ उल्टी
  • अधिक उल्टी आना
  • रक्त-पित्त या ब्लीडिंग डिसऑर्डर
  • रक्त प्रदर
  • नाक, गुदा, पेशाब, योनी आदि से खून गिरना
  • पित्ती निकलना
  • मुख पाक
  • पित्त-विकार
  • मूत्रविकार

सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Amlapittantak Lauha in Hindi

125-250 mg, 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।

  • इसे शहद + घी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

You can buy this medicine online or from medical stores.

This medicine is manufactured by Baidyanath (Amlapittantak Lauh), Manil (Amlapittantak Loha), Rasashram (Amlapittantak Rasa), Dabur (Amlapittantak Lauh) and many other Ayurvedic pharmacies.

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