वासावलेह (Vasawaleh), आयुर्वेद के एक जानी-मानी औषधि है। इसके सेवन से खांसी और कफज रोग दूर होते हैं। यह क्षयजन्य खांसी के लिए अत्यंत लाभप्रद है। इसके सेवन से कास, शाव, और पुरानी खांसी में बहुत लाभ होता है।
इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।
Vasavaleha is a semisolid avaleha preparation of Ayurveda prescribed for asthma, chronic cold, rhinitis and similar respiratory tract infections and other diseases like tuberculosis, pain abdomen, bleeding disorders and fever etc. Main ingredient of this medicine is Vasa (Malabar Nut).
- उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है
- दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक क्लासिकल हर्बल दवाई
- मुख्य उपयोग: कफज रोग
- मुख्य गुण: कफ की अधिकता को दूर करना
- अनुपान: दूध अथवा पानी और शहद
मूल्य MRP:
- Rs. 32.00 for 60 gm (Baidynath)
- Rs. 137.00 for 250 gm (Dabur)
- Rs. 240.00 for 250 gm (VHCA Ayurveda)
वासावलेह के घटक Ingredients of Vasavaleha
- वासा Vasaka (Vasa) svarasa Adhatoda vasica Lf. (Fresh) 768 ग्राम
- मिश्री Sita Sugar candy 384 ग्राम
- सर्पी Sarpi (Go ghrita) Clarified butter from cow’s milk 96 ग्राम
- पिप्पली Pippali Piper longum Fr. 96 ग्राम
- शहद Madhu Honey 384 ग्राम
बनाने की विधि
वासावलेह बनाने के लिए सर्वप्रथम, वासा के पत्तों को धो-साफ़ कर उनका रस निकाला जाता है। फिर इस रस में मिश्री के पाउडर को डाल मंद आंच पर पकाया जाता है। इसे लगातार चलाया जाता है और पूरी तरह से तरल हो जाने पर कपड़े से छान लिया जाता है। छनने के बाद में इसमें घी और पिप्पली को डाल कर मिलाते हैं और धीमी आंच पर पकाते हैं। पकने पर इसमें शहद मिला देते हैं।
वासावलेह के लाभ/फ़ायदे Benefits of Vasavaleha
- यह श्वसन तंत्र respiratory tract के विभिन्न रोगों जैसे की अस्थमा (vasavaleha asthma), ब्रोंकाइटिस, पुरानी खांसी, कफ आदि में अत्यंत लाभप्रद है।
- इस दवाई का मुख्य घटक अरुसा या वासा है जो की कास-श्वास और रक्तपित्त के उपचार में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है।
- इस दवा में कफःनिस्सारक expectorant गुण है इसलिए यह कफ को ढीला कर उसे आसानी से निकालने में मदद करती है।
- यह गले की सूजन को कम करती है।
वासावलेह के चिकित्सीय उपयोग Uses of Vasavaleha
- कास Kasa (cough)
- श्वास shvasa (Dyspnoea)
- ज्वर Jvara (Fever)
- रक्तपित्त Raktapitta (bleeding disorders)
- टी।बी। Rajayakshma (Tuberculosis);
- पार्श्वशूल Parshvashula (intercostal neuralgia andpleurodynia)
- सीने में दर्द Hritshula (Angina pectoris)
सेवन विधि और मात्रा Dosage of Vasavaleha
इसे दिन में दो बार लिया जाता है।
इसे लेने की निर्धारित मात्रा 6 से 12 ग्राम, वयस्कों के लिए, 5 ग्राम पांच से लेकर बारह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए और पांच साल से कम आयु के बच्चों को उनके वज़न के अनुसार या 1-2 ग्राम है।
दवा को दूध, पानी और शहद के साथ लेना चाहिए।
सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications
इसमें मधु और मिश्री है इसलिए डायबिटीज में इसे सावधानी से प्रयोग करें। यदि अनियंत्रित शुगर है तो इसका सेवन न करें। यदि शुगर नियंत्रण में है और कुछ मात्रा में मीठे का प्रयोग कर सकते है तो इसे भी लिया जा सकता है।
- इसके कुछ घटक उष्णवीर्य हैं, इसलिए अधिकता में सेवन पित्त बढ़ा सकता है जिससे पेट में जलन हो सकती है।
- निर्धारित मात्रा में निर्धारित समय तक लेने से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
- बहुत से फार्मसी इसमें ऊपर दिए द्रव्यों के अतिरिक्त कई अन्य जड़ी-बूटियाँ भी डालती है।
उपलब्धता
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
- बैद्यनाथ Baidyanath Vasawaleh
- डाबर Dabur Vasavaleha
- झंडू Zandu Vasavaleha
- सन्डू Sandu Vasavaleha.