पतंजलि प्रदरसुधा सिरप के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

पतंजलि निर्मित प्रदर सुधा सिरप,  एक प्रोप्राइटरी आयुर्वेदिक दवा है।  यह दवा मुख्य रूप से स्त्रियों के प्रदर रोगों में प्रयोग की जाती है।

प्रदरसुधा सिरप, नाम से तीन उत्पाद उपलब्ध हैं।

  • प्रदरसुधा सिरप फॉर लिकोरिया – श्वेत प्रदर के लिए
  • प्रदरसुधा सिरप फॉर मेनोरेजिया – रक्त प्रदर के लिए
  • प्रदरसुधा सिरप फॉर पोस्ट मेनोपोसल सिम्पटम –  रजोनिवृत्ति के लिए

प्रदरसुधा सिरप (लिकोरिया)

प्रदरसुधा सिरप (लिकोरिया) को महिलायों में सफ़ेद पानी की समस्या के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

लिकोरिया एक स्त्री रोग है जिसे आम भाषा में सफ़ेद-पानी या वाइट डिस्चार्ज white discharge कहा जाता है। आयुर्वेद में यह प्रदर का एक प्रकार है जिसे श्वेत प्रदर कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे कफ रोग कहा गया है जो प्रायः कमजोर स्त्रियों में देखा जाता है।

श्वेत प्रदर में योनी से असामान्य स्राव abnormal discharge होता है। सामान्य रूप से normally योनी से हमेशा म्यूकस डिस्चार्ज mucous discharge होता है जो की सर्विकल, एंडोमिट्रियल ग्लैंड तथा अच्छे बैक्टीरिया के कारण होता है। सामान्य स्राव में योनी से निकलने वाला पदार्थ सफ़ेद या पानी जैसा होता है। इसमें कोई बदबू नहीं होती। यह केवल ओवूलेशन ovulation, प्रेगनेंसी pregnancy या सेक्स sexual arousal के दौरान ही ज्यादा मात्रा में निकलता है। बाकी समय यह काफी कम मात्रा में निकलता है। योनी से होने वाला सामान्य स्राव, जनन अंगों की सफाई cleaning, और स्नेहन lubrication करता है। यह स्राव योनीको इन्फेक्शन से भी बचाता है। लिकोरिया में होने वाला स्राव अलग होता है।

प्रदरसुधा सिरप (मेनोरेजिया)

प्रदरसुधा सिरप (मेनोरेजिया) को महिलायों में रक्त प्रदर की समस्या के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

आयुर्वेद में रक्त प्रदर Rakta Pradara (Abnormal uterine bleeding) उस रोग को कहा जाता है जिसमें गर्भाशय uterus से असामान्य रक्तस्राव bleeding होता है तथा शरीर में कमजोरीweakness, एनीमिया anemia और पीठ दर्द pain in lower back आदि की शिकायतें होती हैं। रक्त प्रदर में गर्भाशय से उत्पन्न रक्तस्राव योनि vagina द्वारा होता है।

रक्त प्रदर में मेट्रोरेजिया Metrorrhagia और मेनोरेजिया menorrhagia आते हैं। ग्रीक भाषा का शब्द मेट्रोरेजिया, दो शब्दों से मिल कर बना है, मेट्रा=गर्भाशय और रेजिया= अधिक मात्रा में स्राव; मेट्रोरेजिया का अर्थ है गर्भ से अधिक स्राव। रक्त प्रदर में मेट्रोरेजिया के अतिरिक्त शामिल है, मासिक का बहुत दिनों तक जारी रहना prolonged flow of blood और मासिक में बहुत अधिक रक्त बहना excessive blood flow जिसे मेडिकल टर्म में मेनोरेजिया menorrhagia कहा जाता है। असल में रक्त प्रदर वह रोग है जिसमें गर्भाशय से असामान्य रूप से खून का स्राव होता है।

सामान्य मासिक धर्म चक्र हर 22 से 35 दिन पर होते हैं तथा इनमे रक्तस्राव 3 से 7 दिनों तक रहता है। ज्यादातर स्राव शुरू के तीन दिन ही रहता है और फिर कम हो कर बंद हो जाता है। सामान्य माहवारी में करीब 35 मिलीलीटर फ्लो होता है। लेकिन मेनोरेजिया/अत्यार्तव में प्रत्येक मासिक धर्म चक्र में करीब 80 मिलीलीटर या उससे भी अधिक रक्त की हानि होती है। मेट्रोरेजिया में गर्भाशय से कभी भी खून बहता है। मेनोरेजिया और मेट्रोरेजिया, दोनों ही स्तिथियों में शरीर से ज्यादा खून की हानि से अनीमिया हो जाता है इसलिए इनका उपचार कराना आवश्यक है।

प्रदरसुधा सिरप (पोस्ट मेनोपोसल सिम्पटम)

मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद हो जाने को रजोनिवृत्ति कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में मेनोपाज़ कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है, मासिक (मेनो) का रुक जाना (पाज़)।

मेनोपाज़ होने के कुछ वर्ष पहले से ही स्त्रियों के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते है। ऐसा उनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन के स्तर के बदलने से होता है। जब मासिक एक वर्ष तक नहीं आता तो यह माना जा सकता है की मेनोपाज हो चुका है।

मेनोपॉज़ के बाद Postmenopause का समय रजोनिवृत्ति के बाद का समय है। इस समय महिलाओं को मेनोपौज़ल लक्षण तो नहीं होते लेकिन एस्ट्रोजन के न बनने से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शरीर में महिला हॉर्मोन के कम होने से कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ जाता है जिसके कारण हृदय रोग हो सकता है। हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है। स्त्री होरमोन न होने से योनि में सूखापन हो जाता है। कुछ महिलायों में चेहरे पर बाल भी उग जाते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Pradarsudha Syrup (Patanjali) is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of gynecological disorders. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि प्रदरसुधा सिरप Pradarsudha Syrup,दिव्य प्रदरसुधा सिरप
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी Patanjali Ayurvedic Pvt. Ltd.
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: स्त्री रोग (प्रदर की समस्या)
  • मुख्य गुण: पित्त तथा कफ दोष को संतुलित करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: डॉक्टर से बिना पूछे नहीं करें

मूल्य MRP:

  • प्रदरसुधा सिरप लिकोरिया PRADARSUDHA SYRUP (FOR LEUCORRHEA) 200 ml @ Rs. 75
  • प्रदरसुधा सिरप मेनोरेजिया PRADARSUDHA SYRUP (FOR MENORRHAGIA) 200 ml @ Rs. 80
  • प्रदरसुधा सिरप पोस्ट मेनोपोसल सिम्पटम PRADARSUDHA SYRUP (FOR POST MENOPAUSAL SYNDROME) 200 ml @ Rs. 75

प्रदरसुधा सिरप के घटक | Ingredients of Pradarsudha Syrup in Hindi

Patanjali Pradarsudha Syrup (Leucorrhea) in Hindi

प्रत्येक 5ml में

  • अशोक Ashoka (ext.) (Saraca Indica) 150 mg
  • शतावर Shatavar (ext.) (Asparagus Racemosus) 100 mg
  • धातकी Dhataki (ext.) (Woodfordia Fruticosa) 50 mg
  • पिप्पली Pipali (ext.) (Piper Longum) 25 mg

Patanjali Pradarsudha Syrup (for Menorrhagia) in Hindi

प्रत्येक 5ml में 

  • लोध्र Lodhra (ext) (Symplocos racemosa) 75 mg
  • धातकी  Dhataki phool (ext) (Woodfordia fruticosa) 75 mg
  • गुड़हल Gudhal Phool (ext) (Hibiscus rosa sinensis) 75 mg
  • अशोक Ashok (ext) (Saraca indica) 75 mg
  • नागकेशर Nagkeshar (ext) (Mesua ferrea) 50 mg
  • शतावर Shatavar (ext) (Asparagus racemosus) 50 mg
  • उदंबर Udumbar (ext) (Ficus glomerata) 50mg

Patanjali Pradarsudha Syrup (For Post-Menopausal Syndrome) in Hindi

प्रत्येक 5ml में

  • सोयाबीन Soyabean (ext) (Glycine max) 60 mg
  • अश्वगंधा Ashwagandha (ext) (Withania somnifera) 48 mg
  • जटामांसी Jatamansi (ext) (Nardostachys jatamansi) 20 mg
  • टगर Tagar (ext) (Valeriana wallichii) 12 mg

अशोक

अशोक की छाल को आयुर्वेद में प्रमुखता से स्त्री रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह स्वभाव से शीत होती और प्रजनन तथा मूत्र अंगों पर विशेष रूप से काम करती है। यह गर्भाशय की कमजोरी और योनी की शिथिलता को दूर करती है। यह संकोचक, कडवा, ग्राही, रंग को सुधारने वाला, सूजन डोर करने वाला और रक्त विकारों को नष्ट करने वाला है।

  • रस (taste on tongue): मधुर, तिक्त, कषाय
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु
  • कर्म: ग्राही, गर्भाशय रसायन, हृदय, प्रजास्थापना, स्त्री रोग्जित, वेदना स्थापना, विशाघ्न, वर्ण्य

अशोक रक्त रोधक प्रयोगों में बहुत ही हितकर है। अशोक स्त्री रोगों में बहुत ही फायदा करता है। इसके सेवन से बाँझपन नष्ट होता है और राजोविकर दूर होते है।  यह दर्द, सूजन, रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, दर्द, अतिसार, पथरी, पेशाब में दर्द, आदि में लाभप्रद है।

शतावर

शतावर को माहवारी पूर्व सिंड्रोम (PMS), गर्भाशय से रक्तस्राव और नई मां में दूध उत्पादन शुरू करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त शतावर को अपच, कब्ज, पेट में ऐंठन, और पेट के अल्सर, दर्द, चिंता, कैंसर, दस्त, ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग, मनोविकार, और मधुमेह के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह एक aphrodisiac के रूप में यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी प्रयोग की जाती है।

इसमें एक सक्रिय antioxytocic saponins भी है जो की विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों को बहुत ही अच्छा आराम देता है और संकुचन को रोकता है। इससे गर्भपात को रोकने और समय पूर्व प्रसव को रोकने में मदद होती है।

लोध्र

लोध्र को  संस्कृत में लोध्र, तिल, तिरीटक शाबर, मालव, गाल्व, हस्ती, हेमपुष्पक आदि नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे लोध, बंगाली में लोधकाष्ठ, मराठी में लोध, गुजरती में लोदर, पठानीलोध, और लैटिन में सिम्प्लेकोस रेसीमोसा कहते हैं। यह अतिसार, आम अथवा रक्तअतिसार, रक्त प्रदर तथा श्वेतप्रदर के उपचार में बहुत लाभप्रद है। यह स्त्रियों के प्रदर की समस्या की प्रमुख औषधि है.

  • रस (taste on tongue): कषाय astringent
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष light and drying
  • वीर्य (Potency): शीत Cooling
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु Pungent

लोध्र वृक्ष की छाल को औषधीय प्रयाजनों के लिए मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है। छाल को आयुर्वेद में कषाय रस और बल्य माना गया है। यह अकेले ही या अन्य द्रव्यों के साथ दवाई के रूप में प्रयोग की जानेवाली औषध है। इसे आंतरिक और बाह्य दोनों की तरह से प्रयोग करते हैं। बाह्य प्रयोग में यह संकोचक, रक्तस्तंभक, वर्णरोपण, शोथहर है। आंतरिक प्रयोग में यह स्तंभक, रक्तस्तंभक, शोथहर, गर्भाशयस्राव और गर्भाशयशोथनाशक है। यह अतिसारनाशक और कुष्ठघ्न भी है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, वजन बढ़ाने के लिए और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए increases weight and improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। स्त्रियों में अश्वगंधा का सेवन स्तनपान breastfeeding कराते समय दूध की मात्रा में वृद्धि galactagogue करता है और हॉर्मोन के संतुलन में मदद करता है। इसका सेवन हार्मोन पुन: बनाता है। प्रसव after delivery बाद इसका सेवन शरीर को बल देता है। इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

पिप्पली

पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

प्रदरसुधा सिरप दवा के औषधीय कर्म

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • ग्राही: द्रव्य जो दीपन और पाचन हो तथा शरीर के जल को सुखा दे।
  • प्रमेहहर: द्रव्य जो प्रमेह अर्थात मूत्र रोग को दूर करे.
  • रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  • रक्तप्रदरहर: द्रव्य जो रक्त प्रदर की समस्या को दूर करे.
  • व्रणरोपण: घाव ठीक करने के गुण।
  • शोधक: द्रव्य जो शरीर की गंदगी को मुख द्वारा या मलद्वार से बाहर निकाल दे।
  • श्वेतप्रदरहर: द्रव्य जो सफ़ेद पानी की समस्या को दूर करे.

प्रदरसुधा सिरप के लाभ / फायदे | Benefits of Pradarsudha Syrup in Hindi

  • यह पाचक है।
  • यह खून से गंदगी हटाती है।
  • इसका एसट्रिनजेंट astringent गुण ब्लीडिंग डिसऑर्डर में लाभकारी है।
  • इसके सेवन से रोजोविकर/मासिक धर्म menstrual disorders के विकारों में लाभ होता है।
  • यह एक गर्भाशय का टॉनिक uterine tonic है और गर्भाशय को बल देता है।
  • यह दवा प्रदर में लाभकारी है।
  • इस दवा का असर यूटरस uterus पर विशेष होता है।

प्रदरसुधा सिरप के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Pradarsudha Syrup in Hindi

  • प्रदरसुधा सिरप, स्त्री रोगों में इस्तेमाल की जा सकती है.
  • श्वेत प्रदर
  • रक्त प्रदर
  • रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली समस्या

प्रदरसुधा सिरप की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Pradarsudha Syrup in Hindi

  • 1-2 टेबल स्पून दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

प्रदरसुधा सिरप के इस्तेमाल में सावधनियाँ | Cautions in Hindi

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

प्रदरसुधा सिरप के साइड-इफेक्ट्स | Side effects in Hindi

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

प्रदरसुधा सिरप को कब प्रयोग न करें | Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान डॉक्टर से बिना पूछे नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

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