अग्निमुख चूर्ण के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

अग्निमुख चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें आठ औषधीय द्रव्य हींग, वच, पिप्पली, सोंठ, अजवाईन, हर्रे, चित्रकमूल की छाल और कूठ है। इस दवा के सेवन से भूख बढ़ती है और पाचन ठीक होता है। यह एक गर्म प्रकृति की दवाई है और इसके सेवन से शरीर में पित्त बढ़ता है और कफ कम होता है। गर्म गुण के कारण यह औषधि शरीर में वात को भी कम करने वाले दवा है और गैस में राहत देती है।

इसमें हींग है। हींग को घरेलू उपचार में अफारा, गैस को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे गैस बनाने वाले भोज्य पदार्थों में भी इसके गैसहर-वातहर गुण के कारण ही प्रयोग किया जाता है। हींग पेट में रुकी गैस को दूर करती है और कोलिक में आराम देती है। हींग पित्त स्राव को बढ़ा देता है। है।

अग्निमुख चूर्ण पाचन तंत्र से संबंधित ऐसी समस्याओं जिसमें पाचक रस का स्राव कम होता है, जैसे की अजीर्ण, अपच और गैस, के लिए प्रयोग होता है। यह पाचन में सहयोग करता है और भूख बढ़ाता है। इससे वायु प्रधान मन्दाग्नि ठीक होती है। यह पाचक और दीपन है। यह आम दोष को भी दूर करता है और स्रोतों को साफ़ करता है।

इसे दिन में दो बार दही, छाछ, या गर्म पानी के साथ ले सकते हैं। यदि भूख कम लगती है तो इसे खाने के पहले ले सकते हैं और यदि पाचन ठीक से नहीं होता तो खाने के साथ ले सकते हैं। यह पाचक, अग्निवर्धक, और भोजन में रूचि उत्पन्न करने वाली दवा है। यह पेट की वायु को दूर करने वाली और आँतों को साफ़ करने वाली औषधि है।

यह पित्त वर्धक है और इसलिए गर्भावस्था में नहीं ली जानी चाहिए। यदि इसके सेवन से पेट में जलन,पेशाब में जलन या नाक से खून गिरना होता है तो इसे कम मात्रा में ले कर देखें या नहीं लें।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Agnimukh Churna is polyherbal Ayurvedic medicine used to improve appetite and digestion.  It is an anti-Vata formula that cleanse the colon. It (Effect on Dosha) reduces Vata and Kapha and increases Pitta. It should be take cautiously in high pitta, pregnancy, diarrhea and acidity.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • पर्याय: Agnimukh Choornam, Agnimukh churna (powder)
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवा, OTC
  • मुख्य उपयोग: मन्दाग्नि, पेट में दर्द, पेट फूलना, गैस, अरुचि, अपच
  • मुख्य गुण: गैसहर, आमदोषहर, रुचिकारक

अग्निमुख चूर्ण के घटक | Ingredients of Agnimukh Churna in Hindi

  • हींग Hingu Asafeotida (Exd.) 1 part
  • बच Vaca Acorus Calamus (Rz.) 2 parts
  • पिप्पली Pippali Piper Longum (Fr.) 3 parts
  • सोंठ Shringavera (Shunthi) Zingiber Officinale (Rz.) 4 parts
  • यवनी Yavanaka (Yavani) Trachyspermum ammi (Fr.) 5 parts
  • हरीतकी Haritaki Terminalia Chebula (P.) 6 parts
  • चित्रक Chitraka Plumbago Zeylanica (Rt.) 7 parts
  • कूठ Kushtha Saussurea Lappa (Rt.) 8 parts

हींग, तेल और रालयुक्त गोंद है जिसे इंग्लिश में ओले-गम-रेसिन कहते हैं। हींग के पौधे की जड़ एवं तने पर चीरा लगाकर इस गोंद को प्राप्त करते हैं। हींग स्वाद में कटु गुण में लघु, चिकनी और तेज है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है। यह पित्त वर्धक है और पाचन को तेज करती है।

हींग का अधिक मात्रा में सेवन नुकसान करता है। यह शरीर का ताप तो नहीं बढ़ाता परन्तु धातुओं में उष्मा बढ़ा देता है। जहाँ कम मात्रा में यह पाचन में सहयोगी है, वहीँ इसकी अधिक मात्रा पाचन की दुर्बलता, लहसुन की तरह वाली डकार, शरीर में जलन, पेट में जलन, एसिडिटी, अतिसार, पेशाब में जलन आदि दिक्कतें पैदा करता है।

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। सोंठ को भोजन में मसले की तरह और दवा, दोनों की ही तरह प्रयोग किया जाता है। सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं।

पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

प्रधान कर्म

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
  • छेदन: द्रव्य जो श्वास नलिका, फुफ्फुस, कंठ से लगे मलको बलपूर्वक निकाल दे।

अग्निमुख चूर्ण के लाभ / फायदे | Benefits of Agnimukh Churna in Hindi

  • इसका कोई भी सीरियस साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  • इसे छोटे-बड़े सभी ले सकते हैं, लेकिन लेने की मात्रा अलग होगी।
  • यह स्वभाव से गर्म है और पाचक पित्त को बढ़ाने वाली दवा है।
  • इसे लेने से मेटाबोलिज्म तेज होता है, अरुचि दूर होती है और पाचन सही होता है।

अग्निमुख चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Agnimukh Churna in Hindi

  • पेट फूलना Abdominal distention
  • अग्निमांद्य Agnimandya (Digestive impairment)
  • आम दोष Ama Dosha (metabolic waste and toxins)
  • कब्ज़ Constipation
  • गैस Flatulence
  • गुल्म Gulma (Abdominal lump)
  • पेट में भारीपन लगना Heaviness
  • हिचकी Hiccups
  • अपच Indigestion
  • कोलिक Intestinal colic
  • अरुचि Loss of appetite

अग्निमुख चूर्ण की सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Agnimukh Churna in Hindi

  • 1-3 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दही, छाछ अथवा गर्म पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के पहले या साथ में लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • यह तासीर में गर्म है।
  • बच्चों को यदि देना है तो कम मात्रा में दें। `
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से पेट में जलन हो सकती है।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन सावधानी से करें।
  • हींग को मासिक स्राव को बढ़ाने वाला और गर्भनाशक माना गया है।
  • चूहों में किये गए परीक्षण में हींग के सेवन से कमजोर sister chromatid exchange-inducing effect स्पर्म बनते देखा गया। यह क्रोमोसोमल को डैमेज करने वाला असर हींग में मौजूद coumarin के कारण होता है।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Agnimukh Churna 60 gm for Digestive Health @ ₹76
  • Sanjeevika Agnimukh Churna
  • Somalata Organic Ayurveda Agnimukh Churna
  • Kapiva Ayurveda Agnimukh Churna
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

2 thoughts on “अग्निमुख चूर्ण के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

  1. Mai 23 saal ka yuwak hun..6ft..handsome and attractive looking. study ke karan mai girl friend nhi banaya..ab mai job me hun..lekin workplace me sirf boys hai..mai din raat sirf koi aurat ke saath roamnce ke sapne dekhta rahta hun..mai bhaut presaan hun..maam please help me..
    Note: Women ka bahut samman karta hun. mujhe galat nhi samjhiye.

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