यशद भस्म के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

यशद, यसद, जशद, जसद, रीतिहेतु, खर्परज, जस्ता आदि जिंक के नाम है। खर्पर या खपरिया यशद का कार्बनिक रूप है। यशद, एक खनिज धातु है जो की आयुर्वेद में विस्तृत प्रक्रिया के बाद यशद भस्म के रूप भिन्न रोगों में प्रयोग की जाती है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसको लेने की मात्रा आधी रत्ती से लेकर एक रत्ती बताई गई है। सही खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य, बल समेत बहुत से अन्य कारकों पर निर्भर है। अब के समय में इसको कम मात्रा (30-60 mg) में लेना सुरक्षित है। यदि आवश्यक होता है तो 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को इसकी आधी और एक वर्ष से पांच वर्ष के बच्चों को बड़ों को दी जानी वाली मात्रा की चौथाई मात्रा दी जा सकती है।

  1. यशद भस्म को अन्य द्रव्यों ले साथ लेने पर भिन्न रोगों में लाभ होता है।
  2. इसे इलाइची बीज चूर्ण, दालचीनी चूर्ण, तेजपत्ता चूर्ण के साथ लेने पर त्रिदोष प्रकोप शांत होता है।
  3. जठराग्नि को दीप्त करने के लिए इसे अरणी की जड़ की छाल के साथ लिया जाता है।
  4. नेत्रों की कमजोरी में इसे पुराने घी के साथ लेते हैं।
  5. टीबी के कारण रात में होने वाले पसीने में इसे प्रवाल भस्म के साथ देते हैं।
  6. विचर्चिका में यशद भस्म को गाय के घी में मिलाकर सात दिन तक रोज लेप करने से लाभ होता है।
  7. श्वास और कास में इसे अभ्रक भस्म के साथ मिलाकर शहद के साथ चाट कर लेना चाहिए।
  8. भयंकर श्वास रोग में इसे अदरक के रस और शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Yashad or Zinc is one of the seven principal metals or Dhatus of Ayurveda (Svarna (gold), Rupya (silver), Tamra (copper), Banga (tin), Seesaka (lead), Yashada (zinc) and Loha (iron).

Yashada bhasma is specially processed zinc. It is indicated in sprue, diabetes, leucorrhea, and hyperhydrosis. The role of the Bhasma in arresting myopia has been examined in one study. It supports better functioning of genitourinary tract.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. पर्याय: Yashad Bhasma, Yashada Bhasma, Jasad Bhasma, Jasada Bhasma, Zinc Calx
  2. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  3. दवाई का प्रकार: जस्ते / जिंक की भस्म
  4. मुख्य उपयोग: जिंक की कमी दूर करना, प्रमेह,खून की कमी, अस्थमा, नेत्र रोग
  5. मुख्य गुण: पित्त और कफ दोष को संतुलित करना, स्राव को रोकना, बल देना
  6. केमिकल रूप: जिंक

यशद भस्म के फायदे | Benefits of Yashada Bhasma in Hindi

  1. उत्तम प्रकार से बनी यशद भस्म, रस में कषाय, कटु होती है। यह गुण में शीत मानी गई है। इसके सेवन से कफ व पित्त प्रकोप जन्य रोग नष्ट होते हैं।
  2. यह शरीर में बल, बुद्धि और वीर्य की वृद्धि करती है।
  3. यह पांडु रोगनाशक, बहुमूत्र रोगनाशक, कास-श्वास रोगशामक, राजयक्ष्मा, और पुराने ज्वर को नष्ट करती है।
  4. यह रात में बहुत पसीना आने की समस्या में भी लाभ करती है। इसके सेवन से हाथ-पैरों का कम्पवात दूर होता है।
  5. यह वात शामक है और एकांग और सर्वांग में प्रकुपित वायु का शमन करती है।
  6. यह स्राव को रोकने वाली और ग्राही है। इसप्रकार स्रावशोषक और ग्राही गुणों के कारण यह प्रमेह, कफ, आंतरिक स्राव के शोषण में लाभप्रद है।
  7. गले की पुरानी सूजन, टीबी की पहली अवस्था, गले की ग्रंथि में सूजन आदि के स्राव यशद भस्म के सेवन से दूर हो जाते हैं।
  8. यशद भस्म की सेवन का मुख्य असर मल-मूत्र और प्रजनन अंगों पर अधिक होता है।

यशद भस्म के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Yashad Bhasma in Hindi

  1. खून की कमी Anemia
  2. कफ Cold, cough and bronchial asthma
  3. डायबिटीज Diabetes
  4. नेत्र रोग Eye diseases
  5. गोनोरिया Gonorrhea
  6. ग्रहणी Grahani (Malabsorption syndrome)
  7. रात को पसीना आना Night sweating
  8. घाव का भर न पाना Non-healing wound
  9. स्पर्म की कमी Oligospermia
  10. मूत्र रोग Prameha (Urinary disorders)
  11. बहुत पसीना आना Prasveda (Excessive sweating)
  12. टी। बी। Rajayakshma (Tuberculosis)
  13. लिकोरिया Shveta Pradara (Leucorrhoea)
  14. पेशाब रोग Urinary constraint
  15. शरीर में जिंक की कमी Zinc Deficiency
  16. शीतपित्त Urticaria
  17. मुंह में जलन, स्वाद बदल जाना, भूख न लगना
  18. टोंसिल की सूजन
  19. प्रोस्टेट की सूजन, प्रोस्टेट का बढ़ जाना
  20. नपुंसकता
  21. स्तम्भन दोष
  22. मांसपेशियों की कमजोरी
  23. कान में झनझनाहट
  24. बुखार
  25. कमजोरी
  26. अतिसार
  27. घाव जल्दी न भरना
  28. बार-बार जुखाम होना आदि

यशद भस्म की सेवन विधि और मात्रा |  Dosage of Yashad Bhasma in Hindi

यशद भस्म को लेने की मात्रा 60 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम है।

आमतौर पर इसकी 10 से लेकर 40 मिलीग्राम / दिन, की मात्रा सुरक्षित है। इस खुराक को दिन में दो बार बाँट कर सुबह और शाम ले सकते हैं। यह धातु की भस्म है और यह अधिक मात्रा में शरीर के अंगों को ख़राब कर सकती है, इसलिए इसे कम से कम मात्रा में ही लेना उपयुक्त है।

  • इसे शहद अथवा गिलोय के स्वरस अथवा त्रिकटु के काढ़े, के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications in Hindi

  1. यह धातु की भस्म है जो की केवल आवश्यक परिस्थितियों में ही ली जानी चाहिए।
  2. इसे डॉक्टर की देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  3. इसे लम्बे समय तक नहीं लेना चाहिए।
  4. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  5. इसे ज्यादा मात्रा में न लें। लम्बे समय तक लेने पर शरीर मेंब हुत से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे की खून की कमी, पैंक्रियास को नुकसान, अच्छे कोलेस्ट्रोल का कम हो जाना, कॉपर की कमी, इनफर्टिलिटी, कमजोरी, थकावट, प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाना आदि।
  6. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
  7. बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के न दें।
  8. अधिक मात्रा में इसके सेवन से जी मिचलाना, पेट में दर्द, मुंह का स्वाद बदल जाना, किडनी-पेट को नुकसान समेत अन्य कई साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए इन सबसे बचने के लिए इसे बिना डॉक्टरी सलाह के न लें।

उपलब्धता

  1. इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  2. बैद्यनाथ Baidyanath Yashad Bhasma
  3. श्री धूतपापेश्वर Shree Dhootapapeshwar Limited SDL Yashada Bhasma
  4. रसाश्रम Rasashram Pharmacy Yashad Bhasma
  5. तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

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