धातुओं को प्राचीन काल से चिकित्सकीय एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। कांसा एक महत्वपूर्ण मिश्र धातु है, जो ताम्र (कॉपर) और वंग (टिन) से बनी है। इसे ब्रोंज, बेल धातु या कांस्य के रूप में जाना जाता है।
कांस्य भस्म या कांसा भस्म Kansya Bhasma (Kansa Bhasma) कांसे से बनी आयुर्वेदिक दवाई है। कांसे में लगभग 78% तांबा और 22% टिन होता है जिससे इससे बनी भस्म में तांबे और वंग भस्म के लाभ आ जाते है। कांस्य भस्म को मुख्य रूप से आंतों के कीड़ों,त्वचा रोगों और और नेत्र विकारों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। कांस्य भस्म की चिकित्सीय खुराक ½ से 1 रत्ती (62।5 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम) तक की जाती है।
यह दवा श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद के द्वारा उपलब्ध है।
कांस्य भस्म के आयुर्वेदिक गुण
- रस: तिक्त और कषाय
- गुण: लघु, रूक्ष
- वीर्य: ऊष्ण
- दोष कर्म: कफ और वात को शांत करता है।
कांस्य भस्म के संकेत Kansya Bhasma Indications
कांस्य भस्म को मुख्य रूप से परजीवियों के कारण से होने वाले विकार, त्वचा रोग, आंत्र कृमियों, आंतरिक फोड़े आदि में निर्देशित किया जाता है।
- त्वचा रोग
- कफ
- आंखों के लिए
- आंत्र परजीवी (कृमि)
- आतंरिक फोड़ा
- कुष्ठ रोग
- रक्त विकार
- परजीवियों के कारण रोग आदि।
कांस्य भस्म के लाभ फायदे
कांस्य भस्म कृमि संक्रमण, त्वचा रोगों और रक्त विकारों में लाभप्रद है। इसमें टिन होता है जिसमें कृमिनाशक गुण होते हैं। यह शरीर को सभी प्रकार के रोगाणुओं और साथ ही परजीवी से लड़ने में मदद करता है।
फोड़े में करे फायदा
कांस्य भस्म आयुर्वेद में सभी प्रकार के फोड़ों के लिए उपयुक्त मानी गई है। आंतरिक फोड़ों में इसके सेवन से पस सूख जाता है और इन्फेक्शन से बचाव होता है। इसके एंटी माइक्रोबियल गुण से यह कीड़ों को नष्ट करता है।
परजीवियों को करे नष्ट
कांस्य भस्म कृमिनाशक है। यह शरीर को सभी प्रकार के रोगाणुओं और परजीवी संक्रमण में मदद करता है।
आंखों को करे मजबूत
कांस्य भस्म के सेवन से आँखे तेज होती है।
कांस्य भस्म की डोज़
- कांस्य भस्म को शहद या गुलकंद के साथ एक दिन में दो बार ले सकते हैं। इसकी 24 घंटों में ली जा सकने वाली अधिकतम संभावित खुराक 500 मिलीग्राम है। कांस्य भस्म और किसी भी तरह के भोजन के बीच तीन घंटे का अंतर रखा जाना चाहिए।
- वयस्क: 62.5 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम
- इसे शहद या गुलकंद के साथ एक दिन में दो बार लिया जा सकता है।
कांस्य भस्म के साइड इफेक्ट्स
- खराब भस्म से निम्न साइड इफ़ेक्ट होते हैं।
- गुदा फिशर
- मतली
- चक्कर आदि।
इस दवा को केवल डॉक्टर के द्वारा निर्देशित होने पर, सीधे चिकित्सीय पर्यवेक्षण में ही लें।