डिमेंशिया – मनोभ्रंश Dementia का आयुर्वेदिक उपचार हिंदी में

डिमेंशिया Dementia  in Hindi को हिंदी में मनोभ्रंश कहते हैं। यह एक मस्तिष्क सम्बन्धी रोग है जो अक्सर उम्र बढ़ने के साथ देखा जाता है। लेकिन बहुत से कारणों से यह 30 की उम्र के बाद भी हो सकता है।

डिमेंशिया क्योंकि दिमाग से सम्बंधित रोग है इसलिए यह व्यक्ति की नार्मल जिन्दगी पर प्रभाव डालता है। डिमेंशिया के पीड़ित व्यक्ति अपने दैनिक कामों को भी ठीक से नहीं कर पाता। उसे बोलने, सही व्यवहार करने यहाँ तक की खाने पीने में भी दिक्कत होने लग सकती है।

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यदि उनकी याददाश्त कमज़ोर हो रही है तो उन्हें डिमेंशिया है। लेकिन केवल कमज़ोर याददाश्त होना ही डिमेंशिया का एकमात्र लक्षण नहीं है। यदि कोई व्यक्ति कभी कभार कुछ भूल जाता है तो इसका मतलब यह नहीं की उसे डिमेंशिया है। केवल भूलने की बिमारी (भुलक्कड़ होना) को डिमेंशिया नहीं कह सकते।

किसी व्यक्ति को डिमेंशिया है, ऐसा तब कहा जा सकता है, जब व्यक्ति ठीक से बोल नहीं पाए, बोलते बोलते ही वह भूल जाए उसे क्या बोलना है, वह जाने पहचाने रास्तों पर भटक जाए, वह तर्क-वितर्क नहीं कर पाए, अपनी बातों को समझा नहीं पाए, खाना पकाना या खानाखाना, ठीक से बर्ताव नहीं कर पाए, समाज में सही से उठाना-बैठना, कपड़े पहनना, तक भूल जाए।

डिमेंशिया में याददाश्त इतनी कमज़ोर हो सकती है कि मरीज यह भूल जाए कि वह किस शहर में रहता है, कौन सा महीना-साल है। कमजोर याददाश्त के साथ ही अन्य दिमागी फंक्शन भी इस रोग से प्रभावित होते हैं। डिमेंशिया से व्यक्ति के व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगता है। वह डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। यह आक्रामक भी हो सकता है। उसके लिए लिखना-पड़ना सभी कुछ दिक्कत भरा हो जाता है।

डिमेंशिया का अर्थ Meaning of Dementia

डिमेंशिया शब्द लैटिन भाषा के डेमनेस, डेमेंट demens, dement से बना है जिसका मतलब है, out of one’s mind या बिना दिमाग का।

इस रोग में व्यक्ति का दिमाग सही से काम करने की स्थिति में नहीं रहता। तो जो व्यक्ति बिना दिमाग के काम करें उसे डिमेंशिया से पीड़ित समझा जा सकता है।

डिमेंशिया असल में लक्षणों के समूह के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द है। यह दिमाग से जुड़े लक्षणों के ग्रुप को दिया गया नाम है। यह लक्षण दिमाग से सम्बंधित होते हैं और दिमाग के प्रभावित हिस्से के अनुसार, अलग अलग व्यक्तियों में अलग हो सकते हैं। दिमाग के जिस हिस्से में दिक्कत है उसी के अनुसार पीड़ित में लक्षण देखे जाते हैं।

डिमेंशिया के 4 मुख्य प्रकार है: अल्जाइमर रोग, संवहनी मनोभ्रंश, फ्रंटोटेम्पोरल, लेवी बॉडीज।  अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है।

डिमेंशिया के लक्षण Dementia Symptoms

  • अनुचित व्यवहार
  • अपने विचार को बोलने या शब्द खोजने में कठिनाई
  • अश्लील हरकतें करना
  • आक्रमक होना, हमले करना
  • आस पास के लोगों पर शक करना
  • गाली देना, गंदे शब्द इस्तेमाल करना
  • गुमसुम रहना
  • चिंता
  • चिल्लाना, रोना
  • चुप रहना
  • जटिल कार्यों को करने में कठिनाई
  • झगड़ालू होना
  • डिप्रेशन
  • तर्क करने में कठिनाई
  • तर्कहीन बाते करना
  • दु: स्वप्न, काल्पनिक आवाज़ सुनना और दृश्य देखना
  • काम को नियोजित करने और आयोजन में कठिनाई
  • पागलपन
  • भ्रम और भटकाव
  • याददाश्त कमजोर होना
  • व्यक्तित्व परिवर्तन
  • समन्वय और मोटर कार्यों के साथ कठिनाई
  • समस्या सुलझाने में असमर्थ होना
  • समाज में ठीक से नहीं रहना, गलत बर्ताव करना

डिमेंशिया के कारण Dementia Causes

डिमेंशिया मस्तिष्क कोशिकाओं को क्षति के कारण होता है। मस्तिष्क के कई अलग-अलग क्षेत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक विभिन्न कार्यों (उदाहरण के लिए, मेमोरी, निर्णय और गति) के लिए जिम्मेदार है। जब किसी विशेष क्षेत्र में कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वह क्षेत्र सामान्य रूप से अपने कार्यों को पूरा नहीं कर सकता है।

रक्त वाहिका समस्या, स्ट्रोक, संक्रमण और प्रतिरक्षा विकार, ऑटो इम्यून डिसऑर्डर जिसमें तंत्रिका कोशिकाओं पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमला करती है, मेटाबोलिक समस्याएं और एंडोक्राइन असामान्यताएं, थायराइड की समस्याएं, कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) वाले लोग, बहुत कम या बहुत अधिक सोडियम या कैल्शियम, या विटामिन बी -12 को अवशोषित करने की क्षमता डिमेंशिया जैसे लक्षण या अन्य व्यक्तित्व परिवर्तनों को विकसित कर सकते हैं।

पोषक तत्वों की कमी, पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीने (निर्जलीकरण, पर्याप्त थाइमिन नहीं होने (विटामिन बी -1), शराब पीने, और आहार में पर्याप्त विटामिन बी -6 और बी -12 नहीं होने से मनोभ्रंश-जैसे लक्षण हो सकते हैं।

दवाओं के लिए प्रतिक्रियाएं, दवा की प्रतिक्रिया या कई दवाओं के संपर्क में मनोभ्रंश जैसे लक्षण हो सकते हैं।

भारी धातुओं जैसे कि सीसा और अन्य जहर, जैसे कि कीटनाशक, साथ ही शराब का दुरुपयोग या मनोरंजक औषधि के उपयोग से एक्सपोजर, मनोभ्रंश के लक्षणों को जन्म दे सकता है लक्षण उपचार के साथ हल हो सकता है।

बिना इलाज़ के डिमेंशिया की स्थिति दिन पर दिन बदतर हो सकती है। इसलिए रोग का पता लगते ही, इसका उपचार शुरू किया जाना चाहिए। डिमेंशिया उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है। यदि आपको अपने करीबी में यह लक्षण दिखाई डे रहें हैं तो इसे नज़रअंदाज नहीं करें। समस्या हो जानने की कोशिश करें और डॉक्टर को दिखाएँ।

मनोभ्रंश का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। एलोपैथी में इसके लिए कुछ दवाएं तो हैं लेकिन यह इस रोग में हो रहे लक्षणों के आधार पर दी जाती हैं जैसे एंटीएंग्जायटी, एंटी डिप्रेसेंट, आदि।

अल्जाइमर रोग सहित, जो सबसे प्रगतिशील डिमेंशिया है, के मामले में कोई इलाज नहीं है जो रोग की प्रगति धीमा या रोकता है। दवाओं के उपचार से अस्थायी तौर पर लक्षणों में सुधार कर सकते हैं। जहां संभव हो, मनोभ्रंश का मूल कारण इलाज किया जाना चाहिए। यदि रोग ठीक नहीं हो सकता है, तो उपचार का लक्ष्य डिमेन्शिया के लक्षणों को सुधारने और / या नियंत्रित करने का होता है।

मनोचिकित्सा, पर्यावरणीय परिवर्तनों, और दवा का एक संयोजन सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन यह अभी भी अन्य चिकित्सा द्वारा पूरक हो सकता है।

सभी एलोपैथिक दवाओं का कोई न कोई साइड इफ़ेक्ट होता है। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से इस रोग के प्रबंधन में सहायता हो सकती है।

आयुर्वेद में डिमेंशिया Dementia का उपचार

आयुर्वेद में डिमेंशिया का उपचार संभव है जब तक यह रोग बहुत गंभीर नहीं हो चुका हो। यदि लक्षण शुरुआती हैं तो इसे मैनेज करना अधिक आसान है।

पंचकर्म चिकित्सा

आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा शरीर को अंदर से साफ़ किया जाता है। यह शरीर में स्रोतों में रुकावट, टोक्सिन की जमावट आदि को दूर करने का तरीका है।

मेद्य रसायन का प्रयोग

मेद्य रसायन, मस्तिष्क के ठीक काम करने में सहयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद में दिमाग के रोगों के लिए कई बहुत सी अच्छी जड़ी बूटियाँ उपलब्ध हैं। मस्तिष्क रोग, वात-पित्त-कफ में से किसी के भी या सभी के असंतुलन से, चिंता, दिमाग पर आघात, भय, पोषण की कमी, वायु दोष आदि से होने वाला रोग माना गया है। मानसिक रोगों में मेद्य रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis

शंखपुष्पि के पौधे से निकाला ताजा रस भी अच्छा मेद्य रसायन है और मानसिक विकारों में प्रमुखता से प्रयोग होता है। दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं। शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है। शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: कटु
  • गुण: सार
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
  • शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।

शंखपुष्पि से निकाले जूस का नियमित सेवन निश्चित रूप से ब्रेन फंक्शन में सुधार लाता है।

ब्राह्मी / बाकोपा मोनोरिए Bacopa monniera

ब्राह्मी विशेष रूप से दिमाग के लिए फायदेमंद है। यह एक नर्वस टॉनिक, शामक, कायाकल्प, एंटीकनवेल्सेट और सूजन दूर करने वाली औषध है। आयुर्वेद में, ब्राह्मी को भावनात्मक तनाव, मानसिक थकान, स्मृति का नुकसान, और वात विकार को कम करने के लिए दिया जाता है। यह मस्तिष्क के कार्यों, स्मृति और सीखने को बढ़ावा देती है यह मिर्गी, दौरे, क्रोध, चिंता और उन्माद में लाभप्रद है।

मण्डूक पर्णी Centella asiatica

सेन्टेला एशियाटिका को संस्कृत में मन्डूकपर्णी, हिंदी में कुला कुड़ी, ब्राह्मी, और लैटिन में गोटूकोला या इंडियन पेनीवर्ट भी कहते हैं, बुद्धिवर्धक है। इसके पत्ते मेंडक के जालीदार पैरों जैसे होते हैं इसलिए इसे मण्डूक पर्णी कहते हैं। यह मेद्य को बढ़ाने वाली वनस्पति है। गोटूकला, मेद्य रसायन, रक्तपित्तहर, रक्तशोधक, व्यास्थापना, और निद्राजनन है। यह बढ़े पित्त को कम करती है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को आराम देती है। इसके सेवन से एकाग्रता, स्मरणशक्ति, और बुद्धिमत्ता बढ़ती है।

  • रस: मधुर, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: मधुर
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: त्रिदोष संतुलित करना, मुख्य रूप से कफ-पित्त कम करना

गोटूकोला को गर्भावस्था में लेते समय बहुत सावधानी की आवश्यकता है। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन नारकोटिक है और चक्कर लाता है। इसे चोलेस्त्र्ल और ब्लड शुगर कम करने वाली ददवाओं के साथ सावधानी से लेना चाहिए।

वच

वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है। वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: उष्ण
  • विपाक: कटु
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: कफ- वातकम करना, पित्त बढ़ाना
  • वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, वजन बढ़ाने के लिए और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए increases weight and improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। यह अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है।

अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है। अश्वगंधा का सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है। अश्वगंधा पाउडर को दूध, घी के साथ लेना चाहिए।

हल्दी का प्रयोग

हरिद्रा (जिसे रजनी, निशा, निशी, हल्दी, हल्दी, हल्दी के रूप में भी जाना जाता है) कर्कुमा लोंगा पौधे के कन्द होते हैं। इसमें मुख्य रूप से आवश्यक तेल और कर्क्यूमिन शामिल हैं। हल्दी बहुत से रोगों में लाभप्रद है। यह शरीर में विष को नष्ट करती है और कृमियों को मष्ट करती है। यह एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम दवा है जो वात और कफ रोगों में विशेष रूप से लाभप्रद है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण हैं जो सेल्स को होने वाली क्षति रोकते हैं।

हल्दी स्वाद में चरपरी, कडवी, रूखी, गर्म, कफ, वात त्वचा के रोगों, प्रमेह, रक्त विकार, सूजन, पांडू रोग, और घाव को दूर करने वाली है।।

यह अपच, खराब परिसंचरण, खांसी, सर्दी, फ्लू, त्वचा विकार, मधुमेह, गठिया, मधुमेह, सूजन, बुखार, बैक्टीरिया संक्रमण, आंतों की कीड़े, जिगर की शिकायतों, मोच, फोड़े, घावों में प्रभावकारी है। संधिशोथ, कफ के कारण प्यास, एलर्जी प्रतिक्रियाओं आदि में यह विशेष लाभप्रद है।

तेल की मालिश

रोजाना तेल की मालिश करने से रक्त परिसंचरण ठीक होता है और रोग को आगे बढ़ने देने से रोकने में मदद होती है।

वात दोष संतुलित करना

यह एक प्रकार का वात रोग है इसलिए, वात को संतुलित करने के लिए भोजन सम्बन्धी परिवर्तन किए जा सकते हैं। पाचन को सही रखना किसी भी रोग से बचने का पहला उपाय है। पाचन की दुर्बलता से शरीर में विजातीय पदार्थ बनते है जो की वात व्याधि होने का मुख्य कारण है।

उचित भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाना चाहिए। पचने में हल्का, शाकाहारी और वातहर भोजन करने से लाभ होता है। विरुद्ध आहार का सेवन नहीं किया जाना चाहिए जैसे मछली और दूध एक साथ खाना ।

योगासन और सूर्य नमस्कार आसन से मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है और और फिटनेस में सुधार होता है।

मनोभ्रंश की लाभप्रद आयुर्वेदिक दवाएं

आयुर्वेदिक दवाएं जो डिमेंशिया में लाभप्रद हो सकती हैं, नीचे दी जा रही हैं:

  • पंचगव्य घृत
  • ब्राह्मी घृत
  • मानसमित्र वटकम
  • वचादी चूर्ण
  • शंखपुष्पि घृत
  • सारस्वत चूर्ण
  • सारस्वतारिष्ट आदि।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में केवल दवा ही नहीं अपितु खान-पान, आहार, जीवन शैली सभी में परिवर्तन आवश्यक है। यह जानना भी ज़रूरी है मानसिक रोग कुछ दिनों में ठीक नहीं होते और इन रोगों का उपचार लम्बा चलता है। औषधीय तेलों की मालिश, दवाओं के सेवन, योग, प्राणायाम, आदि से मानसिक रोगों में बहुत लाभ होता है।

डिमेंशिया के हर मामले को रोका नहीं जा सकता। परन्तु कुछ ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं जो रोग नहीं होने देने या इसके प्रबंधन में सहयोगी हो सकते हैं। जैसे:

खाना सही से खाना

खाने में विटामिन और पोषक तत्वों की कमी से डिमेंशिया हो सकता है। इसलिए खान पान पर ध्यान दें, विटामिन बी12 और विटामिन डी की कमी से मानसिक रोग हो सकते है। इन दोनों की कमी से ब्रेन फंक्शन प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए भोजन के द्वारा विटामिन बी 12 प्राप्त करें। विटामिन डी के लिए धूप में जाएँ। इसे आप कुछ खाद्य पदार्थ, पूरक और सूरज एक्सपोजर से प्राप्त कर सकते हैं। इससे मूड भी अच्छा होता है। अनुसंधान बताता है कि उनके रक्त में विटामिन डी के निम्न स्तर वाले लोग अल्जाइमर रोग और अन्य प्रकार के मनोभ्रंश को विकसित करने की संभावना रखते हैं।

फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और ओमेगा -3 फैटी एसिड में समृद्ध आहार का सेवन, डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकते हैं।

सक्रिय रहें

बाहर जाएँ। घूमे टहलें। घूमने के लिए घर के किसी सदस्य को साथ ले जा सकते है। शारीरिक गतिविधि और सामाजिक संपर्क से डिमेंशिया होने से रोकने में मदद हो सकती है और इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं। एक सप्ताह के 150 मिनट व्यायाम करें।

दिमाग के फंक्शन को सही रखने के लिए किताब पढ़ें, पहेली सुलझाएं, शब्द गेम खेलने की कोशिश करें।

धूम्रपान नहीं करें

धूम्रपान किसी भी दृष्टि से स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है जो सेल्स पर असर डालती है।

कुछ अध्ययनों ने धूम्रपान से रक्त वाहिका (संवहनी) स्थितियों के जोखिम को बढ़ाया हुआ दिखाया । धूम्रपान छोड़ना आपके जोखिम को कम कर सकता है।

रक्तचाप को कम करें

उच्च रक्तचाप के कारण कुछ प्रकार के मनोभ्रंश का खतरा बढ़ सकता है। यह निर्धारित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है कि क्या उच्च रक्तचाप के उपचार से मनोभ्रंश का खतरा कम हो सकता है।

स्वस्थ जीवन शैली अपनाएँ जो कि रोगों के होने की संभावना को कम करे। जो हृदय के लिए अच्छा है, मस्तिष्क के लिए अच्छा है। इसलिए धूम्रपान छोड़ना, बैलेंस्ड डाइट खाने, नियमित व्यायाम करने, शराब नहीं पीने, आदि सभी तरीकों से हम हृदय और मस्तिष्क की रक्षा कर सकते हैं। सामाजिक रूप से सक्रिय रहने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और रक्तचाप को कम करने का आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योगासन और प्राणायाम करने से, सकारात्मक सोच रखने से जीवन में खुश रहने से तथा बेहतर आत्मविश्वास से मानसिक रोगों में मदद होती है। अपने को व्यस्त रखने से और वे काम करने से जिनसे ख़ुशी मिलती हो, को करने से भी हम अपने जीवन को बेहतर कर सकते हैं।

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