लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) दवा एक रसायन है जो की शरीर में बल, ताकत, वीर्य, ओज की वृद्धि करती है तथा अनेक तरह के रोगों को दूर करती है। यह बुखार, कफ, चमड़ी के रोगों, सिर के रोगों, गुदा के रोगों आदि में लाभप्रद है।

नारदीय लक्ष्मीविलास रस भैषज्य रत्नावली के रसायानाधिकार से ली गई है। यह दवा एक रसायन है जो की शरीर में बल, ताकत, वीर्य, ओज की वृद्धि करती है तथा अनेक तरह के रोगों को दूर करती है। यह बुखार, कफ, चमड़ी के रोगों, सिर के रोगों, गुदा के रोगों आदि में लाभप्रद है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करती है। यह नए, पुराने बुखार, गीली-सूखी खांसी, जुखाम, सारे बदन में दर्द, लार घोटने में दिक्कत-दर्द, पूर्ण-विषम और मियादी बुखार सभी में लाभप्रद है।

यह एक आयुर्वेदिक रस-औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है। रस औषधियों के निर्माण में शुद्ध पारे और शुद्ध गंधक को मिलाकर पहले कज्जली बनायी जाती है जो की काले रंग की होती है। रासायनिक रूप से कज्जली, ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ मरक्युरी है। कज्जली को रसायन माना गया है जो की त्रिदोष को संतुलित करती है। यदि इसे अन्य उपयुक्त घटकों के साथ मिलाकर दवा बनाई जाती है तो यह लगभग हर रोग को दूर कर सकती है। कज्जली वाजीकारक, रसायन, योगवाही है।

Lakshmivilas Ras Nardiya, is an Ayurvedic formulation containing Abhrak Bhasma, Kajjali, Vidhar-Dhatura-Bhaang beej, Javitri-Jaiphal, Gokhru and other ingredients. This medicine is a Rasayan and useful in wide variety of diseases. It is beneficial in diseases that occur due to vitiation of Vata-Pitta-Kapha. It is useful in both chronic and acute diseases.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के घटक | Ingredients of Laxmi Vilas Ras (Nardiya) in Hindi

  • अभ्रक Krishnabhra (Abhraka) bhasma 48 g
  • रस Rasa (Parada) Shuddha 24 g
  • गंधक Gandhaka Shuddha 24 g
  • कपूर Chandra (Karpura) (Sub . Ext.) 12 g
  • जावित्री Jatikosha (Jatiphala) (Ar.) 12 g
  • जायफल Jatiphala (Sd.) 12 g
  • विधारा Vriddhadaraka (Vriddhadaruka) (Sd.) 12 g
  • धतुरा बीज Dhusturaka (Dhattura) (Sd.) 12 g
  • भांग के बीज Trailokya vijaya (Vijaya) bija (Bhanga) (Sd.) 12 g
  • विदारी छाल Vidari mula (Rt . Tr.) 12 g
  • शतावरी Narayani (shatavari) (Rt . Tr.) 12 g
  • नागबला Nagabala (Rt.) 12 g
  • अतिबला Atibala (Rt.) 12 g
  • गोखरू Gokshuraka (Gokshura) (Fr.) 12 g
  • निकुला/ हिज्जल Nicula bija Barringtonia acutangula(Sd.) 12 g
  • पान के पत्ते का रस घोटने के लिए Parna patra (Nagavalli) (Lf.) Q .S. (for mardana)

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के लाभ | Benefits of Laxmi Vilas Ras (Nardiya) in Hindi

  • यह एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम दवा है।
  • यह शरीर में किसी भी दोष के कुपित होने से हुए रोग के लिए लाभप्रद है।
  • यह एक रसायन औषधि है जो की धातुओं को पोषित करती है और शरीर का बल, तेज़ और ओज बढ़ाती है।
  • यह रतिवर्धक, रक्तवर्धक, बलवर्धक, वीर्यवर्धक और धातु वर्धक औषधि है।
  • यह कास, पेट, सिर, चमड़ी, वीर्य, गुदा, मूत्र सम्बन्धी रोगों को दूर करने वाली दवा है।
  • यह हर तरह के बुखार में लाभकारी है।
  • यह जुखाम, हर तरह की खांसी, जकड़न, फेफड़ों में सूजन-दर्द, पुराना साइनोसाईटिस, बहुत अधिक कफ, कफ के कारण बुखार, निमोनिया, अस्थमा, इन्फ्लुएंजा आदि को दूर करती है।
  • यह सभी बीस प्रकार के प्रमेह में उपयोगी है।
  • यह १८ तरह के कुष्ठ रोगों में लाभप्रद है।
  • यह कामोद्दीपक है और कामेच्छा को बढ़ाती है।
  • यह समय से पहले स्खलन, और शुक्राणु विकारों में लाभकारी है।
  • यह नपुंसकता, और यौन दुर्बलता में उपयोगी है।
  • यह हृदय को शक्ति देती है।
  • यह सिर, त्वचा, और प्रजनन-मूत्र प्रणाली के विभिन्न रोगों के इलाज में लाभकारी

लक्ष्मीविलास रस (नारदीय) के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Laxmi Vilas Ras (Nardiya) in Hindi

  • उदर रोग (Diseases of abdomen / enlargement of abdomen)
  • प्रमेह (Urinary disorders)
  • धातु क्षय (Tissue wasting)
  • उर्ध्वंगा रोग (Disorders of Head and brain)
  • गुदा रोग (Anorectal disease)
  • भगन्दर (Fistula-in-ano)
  • नाड़ीव्रण (Fistula)
  • कुष्ठ (Diseases of skin)
  • व्रण (Ulcer)
  • श्लीपद (Filariasis)
  • गला शोथ (Dryness in throat)
  • कास (Cough)
  • यक्ष्मा (Tuberculosis)
  • पीनस (Chronic rhinitis/sinusitis)
  • आंत्रवृद्धि (Hernia)
  • अतिसार (Diarrhoea)
  • आमवात (Rheumatism)
  • जिह्वा स्तम्भ Glossal palsy
  • निगलने में दिक्कत Difficulty in swallowing
  • मुख-कान, नाक और आँखों की तकलीफ Disorders of Mouth, Ear, Nose and Eyes
  • अर्श (Haemorrhoids)
  • स्थौल्य (Obesity)

सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Laxmi Vilas Ras (Nardiya) in Hindi

  • 1 टैबलेट / 250 मिलीग्राम, दिन में 2-4 बार, भोजन से पहले लें।
  • दवा का अनुपान रोग के ऊपर निर्भर करता है।
  • जीर्ण ज्वर और वात दोष की ख़राबी के कारण रोगों में अदरक का रस + शहद के साथ लें।
  • विषम बुखार में, पिप्पली चूर्ण + शहद के साथ लें। या इसे पान के पत्ते के रस / शहद / मक्खन/ या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

Please note, the doses of Ayurvedic medicines are not fixed. Exact dose depends on the age, strength, digestive power of the patient, the nature of the illness, the state of the viscera and humours, and the properties of individual drugs.

Ayurvedic medicines containing detoxified, toxic material/ poisonous substances, heavy metals should be taken only under medical supervision.

You can buy this medicine online or from medical stores.

This medicine is manufactured by Baidyanath (Lakshmivilas Ras Nardiya), Dabur (Dabur Lakshmi Vilas Ras), Patanjali Divya Pharmacy (Divya Laxmi Vilas Ras), Prince Pharma (Laxmi Vilas Ras Nardiye), Shree Dhanwantri (Laxmivilas Rasa Nardiya), Shri Dhootapapeshwar Limited (Laxmivilas Naradeeya), and many other Ayurvedic pharmacies.

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