Safed Musli सफेद मुसली Benefits and Medicinal Uses in Hindi

सफेद मूसली औषधीय उपयोग की एक प्रमुख वनस्पति है| यह बहुत ही जानी मानी हर्ब है जिसे बहुत सी बिमारियों, मुख्यतः पुरूषों के यौन रोगों male sexual diseases, के उपचार में प्रयोग किया जाता है|

सफेद मुसली (safed musli) औषधीय उपयोग की एक प्रमुख वनस्पति है। मुसली के पौधे की जड़ मूसल के समान होती और इसका रंग सफ़ेद होता है इसलिए इसे सफ़ेद मुस्ली या मूसली कहा जाता है।

सफेद मुसली क्या होती है

यह बहुत ही जानी मानी हर्ब है जिसे बहुत सी बिमारियों, मुख्यतः पुरूषों के यौन रोगों male sexual diseases, के उपचार में प्रयोग किया जाता है| ये एक वाजीकारक aphrodisiac दवा है जो की इंडियन जिन्सेंग Indian ginseng या नेचुरल वियाग्रा natural Viagra की विकल्प के रूप में इस्तेमाल होती है। सारी दुनिया में सफेद मूसली की बहुत मांग है।

सफेद मूसली
Safed Musli

मूसली की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाएं बनाने में किया जाता है। मुस्ली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है। इसका कोई गंभीर साइड-इफेक्ट नहीं है। अधिक मात्रा में इसे लेने से पेट की समस्याएं हो जाती हैं।

सफेद मूसली के पौधे बरसात के मौसम में जंगल में उगते है। मूसली की जड़ के सफेद पारभासी टुकड़े, 5 मिमी तक मोटे और 15 सेमी तक लम्बे हो सकते हैं। मार्केटिंग से पहले, ये इन्हें पानी में में उबाल, बाह्य रूटकोट हटा देते हैं। यह प्रक्रिया स्टार्च को जिलेटिनाइज़ करती है। उबली जड़ जब ठंडी होती हैं तो वैक्स जैसी पारभासी लगती है। जब इसे पानी में डुबोया जाता है, तो जड़ अपनी मूल आकृति को पानी सोख कर पुन: प्राप्त कर लेती है। यह जड़ें चबाने पर चीमड़ लगती हैं। इसमें मीठा स्वाद और अच्छी गंध आती है।

मूसली को पोषक टॉनिक माना जाता है। इसके कंद को दूध में उबाल आकर दोनों पुरुषों और महिलाओं में यौन शक्ति की कमी के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत में आजकल इसकी बड़े पैमाने पर खेती भी होने लगी है। भारत में मुख्य रूप से इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और मध्य प्रदेश में की जाती है। दवाई की तरह मुख्य रूप से सफेद मूसली के पौधे की जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। मुसली की जड़ या कन्द को जमीन से खोद के निकला जाता है और साफ़ करके सुखा लिया जाता है। फिर इसका पाउडर बना कर दवा बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। मुस्ली का पाक,चूर्ण, या अन्य जड़ी-बूटियों के साथ योग बनाकर प्रयोग किया जाता है।

  • पर्याय: सफेद मूसली, मुशली, Musali, Safed Musli
  • पारिवारिक नाम: Liliaceae
  • दवा के रूप में हिस्सा इस्तेमाल: जड़, कन्द
  • पर्यावास: उत्तरी और पश्चिमी भारत

सफ़ेद मूसली (safed musli) के लिए निम्न पौधों का प्रयोग होता है:

  • Asparagus adscendens Roxb. (Family: Liliaceae)
  • Chlorophytum arundinaceum Baker (Family: Liliaceae)

Two plants from Liliaceae family, with tuburous roots are used as Safed Musli. Asparagus adscendens with typical asparagus-like striated leaves in and Chlorophytum borivillianum, with lily-like like straight leaves.

Black variety or kali musali, is completely differnt plant, Curculingo orchioides from the Amaryllidaceae family.

Musli is considered natural Viagra or Indian Ginseng. It is especially used and known to everyone as an aphrodisiac. Because of its popularity as a sex tonic its cultivation is done in number of regions around the world. It is a fertility booster which nourishes the tissues of the mind, nervous and reproductive systems. As per Ayurveda, it is immunity booster, vaajikarak, Rasayan and a general health tonic mainly working on reproductive and respiratory system.

For male reproductive problems, Ashwagandha, Bala, Kapikacchu, Gokshura, Guduchi combination is used.

Safed musli सफेद मूसली के अन्य भाषाओं में नाम

  • Sanskrit: Swetha musli, Shwet musli, Shweta musli, Safed musli, Musali, Musli, Shweta Musali, Mahashatavari, black variety is equated with Talamuli Chlorophytum arundinaceum Baker.
  • Unani: Shaqaaqul-e-Hindi
  • Hindi: Safed musli, Hazarmuli, Satmuli
  • Gujrati: Ujlimusli, Dholi musali
  • Malyalam: Shedeveli, Shedheveli
  • Marathi: Safed musli, Sufed Musli, Kuli.
  • Tamil: Tannirvittang, Tannirvittan-Kizhangu, Vipurutti, Taniravi thang
  • Telugu: Tsallogadda, Swetha musli, Shankadalli gadda
  • Arabic: Shaqaqule-hindi
  • Sinhalese: Hirtha-wariya, Mushali
  • Garhwal: Jhirna
  • Uttar Pradesh: Khairuwa
  • Arabic: Haqaqule
  • English: India spider plant, Spider plant (India), White musale, White Musali
  • French: Chlorophytum medicinal
  • Unani: Musli Safaid

Chemical Constituents

मुसली के प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट (41%), प्रोटीन (8-9%), सैपोनिन (2-17%), फाइबर (4%), 25 से अधिक एल्कलॉइड, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, स्टेरॉयड, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फिनोल, रेजिन, पोलीसेकराईडस आदि हैं।

  • कार्बोहाइड्रेट
  • प्रोटीन
  • सैपोनिन
  • फाइबर
  • खनिज

इसका प्रयोग विभिन्न शक्तिवर्धक दवाओं में, स्वास्थ्य और सेक्स टॉनिक आदि के निर्माण में होता है। इसमें सेक्स पॉवर बढ़ाने की क्षमता है।

Safed musli सफेद मूसली की खेती कैसे करे?

सफेद मूसली भारत वर्ष में उगाई जाती है। यह एक वार्षिक पौधा है, जिस की ऊंचाई तकरीबन 40-50 सेंटीमीटर तक होती है।

जमीन में इसकी 5-7 गुच्छेवाली मांसल जड़ों की लंबाई 8-10 सेंटीमीटर तक होती है। इसके लिए दोमट, रेतीली दोमट, लाल दोमट और कपास वाली लाल मिट्टी, जिसमें पानी नहीं ठहरता हो, सही रहती है। ठहरा पानी इसके कन्द को खराब कर देता है।

गर्म और नम मौसम, जिसमें मिट्टी में नमी बनी रहे, इसकी जड़ों को बढ़ने में मदद करता है। इसकी फसल 7-8 महीने में तैयार हो जाती है। भारत में इसका कमर्शियल रूप से उगाया जाना छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ था। मूसली के पौधों को बीजों और जड़ में हुए अंकुर से उगाया जाता है।

बीज: इसके बीज काले रंग के होते हैं और देखने में प्याज के बीजों जैसे लगता हैं। बीज 10 महीने के सुप्तावस्था के बाद अंकुरित होते हैं।

वेजेटेटिव तरीके से उगाना: 1. 5–2 सेंटीमीटर साइज़ के कन्द के दुकड़े rootstock जिनमें अपिकल बड्स होते हैं, मई महीने के मध्य से अंकुरित होते हैं। जंगलों में बारिश प्राप्त होने के 4-6 दिनों के भीतर ही जमीन से नए मूसली के पौधे निकलने लगते हैं। यहां तक कि एक छोटा (1 सेमी लंबा) और थोड़ा सिकुड़ा हुआ जड़ का टुकड़ा को नए पौधों को उगाने में सक्षम है। ये मांसल जड़ें मई के दूसरे सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक अंकुरित होती हैं। कन्द के टुकड़ों को खेत में बो दिया जाता है। करीब दो सप्ताह के बाद 70%–80% अंकुरण होता है।

फसल, फरवरी के महीने तक तैयार हो जाती है। जब तक मूसली का छिलका कठोर न हो जाए तथा इसका सफेद रंग बदलकर गहरा भूरा न हो तब तक जमीन से नहीं निकालेना चाहिए। यदि मूसली का उपयोग बीज के रूप में करना हो तो इसे मार्च में ही खोदना चाहिए। बीज के रूप में रखने के लिये खोदने के 1-2 दिन तक कंदो का छाया में रहने दें जिससे अतरिक्त नमी दूर हो जाए फिर एंटी फंगल दवा से उपचारित कर रेत के गड्ढों, कोल्ड एयर, कोल्ड चेम्बर में रखे।

Asparagus adscendens बहुशाखित, सीधा, और शाकीय होता है। पत्ते नुकीले और लम्बे होते हैं। पौधे उगने के एक-दो महीने बाद उनमें फूल आने लगते हैं। यह फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़, रोयें दार, सफ़ेद, लम्बी, झुर्रीदार, और 6 mm मोती होती है।

Chlorophytum borivilianum का पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है। यह भी शाखीय पौधा है। इसके पत्ते रेखीय भालाकार, और फूल सफेद होते हैं। इसकी कन्द लम्बी और 5-7 के गुच्छे में होती है। बाजार में ज्यादातर मूसली के रूप में यही मिलती है।

  • जलवायु: गर्म तथा आर्द्र
  • फसल की अवधि: 7-8 महीने
  • जुताई: गहरी
  • उगाने का तरीका: कन्द के टुकड़े
  • लगाने का मौसम: मानसून
  • खेत की मिट्टी का पीएच मान: 7.5
  • अनुपयुक्त जमीन: कैल्शियम कार्बोनेट वाली मिट्टी

जलवायु और मृदा

मुस्ली गर्म और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जा सकता है। आम तौर पर आलू, प्याज और लहसुन के लिए जिस तरह की जलवायु और मिट्टी चाहिए वह इसके लिए भी उपयुक्त और सुरक्षित है। पानी की अच्छी तरह से निकासी वाली मिट्टी जिसमें खनिज और आर्गेनिक सामग्री अधिक हो इसकी फसल के लिए आदर्श है। कड़ी और अम्लीय मिट्टी से बचा जाना चाहिए।

रोपण और खुदाई

यह खरीफ की फसल होने के नाते, बोने की शुरूआत मॉनसून की शुरुआत से होती है। कन्द के टुकड़ों का रोपण बेड में किया जाता है या मिट्टी के ढलान और जल निकासी के आधार पर किया जाता है। आम तौर पर कन्द के टुकड़ों को 35 से 40 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। एक हेक्टेयर में रोपण के लिए करीब 80,000 कन्द की आवश्यकता होती है जिनका वज़न 10-12 क्यू होता है।

खाद में वर्मीकम्पोस्ट खाद डाला जाता है। रोपण के तीन या चार महीने बाद, पत्तियों पीली होना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद वे शुष्क हो गिर जाती हैं और कंद / डिस्क से अलग हो जाती हैं। मिट्टी में नमी का स्तर अभी भी एक और दो से तीन महीने तक बनाए रखना चाहिए। इसके बाद, कंद की त्वचा परिपक्व होती है और यह गहरे भूरे रंग की हो जाती हैं। इस स्तर पर कंद को खोदा जा सकता है।

पैदावार

  • औसतन फसल हर हेक्टेयर में 40-50 किवंटल गीले कंदों की उपज देता है। छीलने के बाद और
  • लगभग 20% सूखी मस्ली, 8-10 q प्राप्त होती है।

प्रोसेसिंग

  • मिट्टी से मुसली कंद खुदाई करने के बाद, वे ताजे पानी में पूरी तरह से धोया जाता है।
  • बड़े और स्वस्थ कंदों को अलग और छोटे लोगों को अलग-अलग रखा जाता है।
  • अगले सीजन के लिए रोपण सामग्री के रूप छोटे कंदों को रख लेते हैं और बड़े कंदों को प्रसंस्करण के लिए लिया जाता है।
  • बाहरी भूरे रंग की त्वचा को स्टेनलेस स्टील चाकू से हटा देते हैं और धूप में तीन से चार दिनों तक सूख जाता है।
  • सूखे कंदों को पॉलिथीन बैग में पैक किया जाता है और बाजार को भेजा जाता है।

Safed musli सफेद मूसली के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

सफेद मूसली, मधुर रस जड़ी-बूटी है। मधुर रसमुख में रखते ही प्रसन्न करता है। यह रस धातुओं में वृद्धि करता है। यह बलदायक है तथा रंग, केश, इन्द्रियों, ओजस आदि को बढ़ाता है। यह शरीर को पुष्ट करता है, दूध बढ़ाता है, जीवनीय व आयुष्य है। मधुर रस, गुरु (देर से पचने वाला) है। यह वात-पित्त-विष शामक है। लेकिन मधुर रस का अधिक सेवन मेदो रोग और कफज रोगों का कारण है। यह मोटापा/स्थूलता, मन्दाग्नि, प्रमेह, गलगंड आदि रोगों को पैदा करता है।

  • रस (taste on tongue): मधुर
  • गुण (Pharmacological Action): गुरु, स्निग्ध
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • दोष कर्म (Dosha Action):वात पित्त को कम करना, कफ बढ़ाना

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है।

मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव आता को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।

  • बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  • शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  • वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • जीवनीय: आयुष्य देने वाली जड़ी बूटी।
  • ओजवर्धक: ओजस बढ़ाती है।
  • पित्तशामक: पित्त कम करती है।
  • वातशामक: वात कम करना।
  • कफवर्धक: कफ बढ़ाने वाली।

मूसली के फायदे Benefits of Safed Musli

  • मुसली मधुर, वीर्य वर्धक, पुष्टिकारक, उष्ण वीर्य और स्वाद में कडवी होती है।
  • यह एक उत्तम वाजीकारक और एंटीऑक्सीडेंट antioxidant है।
  • इसका सेवन शरीर में शक्ति, उर्जा, और बल को बढ़ता है।
  • यह मूत्रल diuretic है और शुक्र धातु को पुष्ट करती है।
  • यह इम्युनिटी immunity को बढ़ाती है।
  • इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है।
  • यह शारीरिक क्षमता को बढ़ाती है।
  • यह आयुष्य है और जीविनीय शक्ति को बढ़ाती है।
  • यह इम्युनिटी को ठीक करती है और बार होने वाले इन्फेक्शन से बचाती है।
  • यह पुरुषों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है।

Safed musli सफेद मुसली के पुरुषों के लिए लाभ

  • यह शुक्रजनन, कामोद्दीपक तथा रसायन है।
  • यह वीर्य और शुक्र की पोषक जड़ी बूटी है।
  • यह पुरुषों के प्रजनन अंगों को ताकत देती है।
  • यह वाजीकारक है और सेक्स करने की इच्छा को बढ़ावा देती है।
  • यह शीघ्रपतन में फायदा करती है।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और गोखरू के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

नपुंसकता, शीघ्रपतन और वीर्य की कमी, वीर्य का पतला होना, ताकत की कमी, मर्दाना कमजोरी, आदि में इसे केवांच के गिरी के चूर्ण + अश्वगंधा + मिश्री, के साथ मिलाकर एक टीस्पून सुबह और शाम एक कप दूध के साथ लेना चाहिए।

  • यह वीर्य की संख्या को बढ़ाती है।
  • सफेद मुसली को अकेले या अन्य वाजीकारक द्रव्यों के साथ लेने से शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
  • डायबिटीज के कारण से होने वाली नसों की कमी में इसका सेवन लाभदायक है।
  • यह तासीर में ठंडी है और शरीर में गर्मी के रोगों को दूर करती है। यह वीर्य को गाढ़ा करती है।
  • यह पेशाब में जलन से राहत दने वाली दवा है।
  • यदि शुक्र की कमजोरी, बल-जोश की कमी हो यदि पुरुषों को इसके 1-2 ग्राम चूर्ण को मिश्री की समान मात्रा मिलाकर खाना चाहिए। यह प्रयोग सूजाक में लाभप्रद है।
  • वीर्य को गाढ़ा करने, मात्रा बढ़ाने के लिए 2-4 ग्राम की मात्र को मिश्री मिले दूध के साथ रात में लेने चाहिए। इससे लैंगिक दुर्बलता भी दूर होती है।
  • कामेच्छा बढ़ाने, वाजीकरण, मैथुन की शक्ति बढ़ाने के लिए मूसली + गुडूची + सेमल कन्द + आंवला के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में घी और दूध में मिलाकर लें।
  • बहुत पतले-दुबले आदमियों को इसका सेवन करना चाहिए। इससे वज़न बढ़ता है।

Safed musli सफ़ेद मुस्ली के स्त्रियों के लिए लाभ

  • सफ़ेद मुस्ली के सीवन से दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की वृद्धि होती है।
  • दूध बढ़ाने के लिए मूसली का प्रयोग: 2 ग्राम मूसली को 2 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर दूध के साथ लेवें।
  • इससे सफ़ेद पानी / लिकोरिया की समस्या में फायदा होता है।
  • श्वेत प्रदर के लिए मूसली का प्रयोग: 1-2 ग्राम सफ़ेद मोसली के पाउडर का सेवन करें।
  • रसायन होने से यह शरीर में ताकत बढ़ाती है।
  • यह पेशाब में जलन से राहत दने वाली दवा है।

Medicinal uses of Safed Musli in Hindi

यह नपुंसकता impotency, धातुक्षीणता, शीघ्रपतन premature ejaculation, यौनविकार sexual disorders, seminal diseases आदि को दूर करने की एक नेचुरल दवा है। यह डायबिटीस diabetes के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी लाभप्रद है।

  • स्त्रियों में इसका प्रयोग सफ़ेद पानी/श्वेत प्रदर leucorrhoea के इलाज और दूध बढ़ने के लिये किया जाता है। प्रसव और प्रसवोत्तर समस्याओं के लिए एक उपचारात्मक रूप में भी इसका प्रयोग होता है।
  • पुरुषों  के यौन रोग (इरेक्टाइल डिसफंक्शन erectile dysfunction, सूजाक sujak, इन्द्रिय शिथिलता, शीघ्रपतन, वीर्य क्षय, यौन दुर्बलता, कम शुक्राणु low sperm count) आदि में इसका प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

Safed musli khane ka tarika (सफेद मूसली कैसे खाएं)

बाज़ार में मिलने वाले मूसली के पाउडर को आप एक टीस्पून की मात्रा में नियमित दिन में एक या दो बार दूध के साथ ले सकते हैं। इसे खाली पेट लेना चाहिए। शुरू में इसे कम मात्रा में लें और धीरे-धीरे इस मात्रा को बढ़ाएं। इs कम से कम तीन महीने लें। इसे लम्बे समय तक लेना सुरक्षित है। पेट की समस्या होने लगे तो ली जाने वाली मात्रा कम कर लें।

इन रोगों को लिए आप सफेद मूसली का पाउडर खा सकते हैं:

  • कम कामेच्छा Low Libido
  • कम शुक्राणु गणना Low Sperm Count
  • कामोद्दीपक Aphrodisiac
  • तनाव, गठिया, मधुमेह
  • दस्त, पेचिश,
  • नपुंसकता impotency
  • पुरुष नपुंसकता Male Impotency
  • पुरुष यौन विकार Male sexual disorders
  • पेशाब में जलन (dysuria)
  • प्रतिरक्षा के नुकसान Loss of immunity
  • प्रतिरक्षा-सुधार immunity improvement, टॉनिक, बॉडीबिल्डिंग में उपयोगी useful in bodybuilding
  • यौन कमजोरी Sexual Weakness
  • यौन प्रदर्शन में सुधार, कामोद्दीपक, सेक्स टॉनिक
  • संधिशोथ, मधुमेह, बवासीर और रजोनिवृत्ति सिंड्रोम के लिए उपयोगी
  • सामान्य कमज़ोरी General weakness
  • सामान्य दुर्बलता (शारीरिक कमजोरी) General debility
  • स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध बढ़ाने के लिये

Safed musli मूसली लेने की मात्रा Dosage of Musli

  • मुसली के चूर्ण की सामान्य सेवन मात्रा 3-6 ग्राम ग्राम है।
  • बहुत से रोगों के उपचार में इसकी 10-15 ग्राम की मात्रा भी दी जाती है।
  • मूसली चूर्ण को मिश्री और दूध के साथ दिन में दो बार लिया जाता है।
  • इसकी ताज़ा जड़ का रस 10-20 मिलीलीटर लिया जाता है।

सफेद मूसली कब नहीं खाएं Contraindication

  • शरीर में यदि कफ, बहुत अधिक बलगम, छाती में जकड़न,  स्रोतों में रुकावट, आम दोष हो तो इसका प्रयोग न करें।
  • वज़न ज्यादा है, मोटे हैं, तो इसका सेवन कम मात्रा में लें।
  • शुरू में कम मात्रा में लें और बाद में पाचन के हिसाब से अनुशंसित मात्रा लें।
  • पाचन यदि सही नहीं है, तो इसका प्रयोग सावधानी से करें।

सफेद मुसली दुष्प्रभाव Safed musli Side Effects

  • इसके सेवन से वज़न बढ़ सकता है।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • दवा की सटीक मात्रा व्यक्ति के पाचन, उम्र, वज़न और स्वास्थ्य को देख कर ही तय की जा सकती है।
  • मूसली पचने में भारी है। इसे लेने से यदि पेट गड़बड़ हो जाए, दस्त होने लगे, भूख नहीं लगे तो इसकी मात्रा कम कर दें।
  • परिणाम अनिश्चित हैं और अलग-अलग व्यक्तिओं में भिन्न हो सकते हैं।
  • यह दवा आपके लिए प्रभावी हो भी सकती है और नहीं भी।

अन्य सुझाव

  • ऐसे तो इसे गर्भावस्था में लिया जा सकता है, लेकिन सेफ साइड पर रहते हुए बिना ज़रूरत या डॉक्टर की राय के इसे नहीं लें।
  • स्तनपान के दौरान लेने से कोई नुकसान नहीं है।
  • मूसली का सेवन 3 महीने तक लगातार करने से परिणाम दिखते हैं। यदि स्पर्म के लिए ले रहें तो इसे और लम्बे समय तक लेने से ही असर पता लगता है।
  • दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  • पानी ज्यादा मात्रा में पियें।
  • पाचन ठीक करें।
  • दवा के सेवन के दौरान दूध, घी, मक्खन, केला, खजूर आदि वीर्यवर्धक आहारों का सेवन अवश्य करें।
  • जंक फ़ूड न खाएं।
  • तले, भुने, खट्टे, मसालेदार भोजन न खाएं।
  • एक्सरसाइज करें।
  • तनाव कम करें।
  • कब्ज़ में त्रिफला, इसबगोल आदि का सेवन कर सकते हैं। मुनक्का और किशमिश का सेवन भी कब्ज़ में लाभप्रद है।

Safed musli Price सफेद मूसली की कीमत / मूल्य

  • पतंजलि मूसली पाक Patanjali MOOSLI PAK के 200 ग्राम की कीमत Rs 350 है।
  • पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण Patanjali SWET MUSHLI Powder के 100 ग्राम की कीमत Rs 325 है।
  • व्यास सफेद मूसली चूर्ण Vyas Safed Musali Churna के 100 ग्राम की कीमत Rs 350.00 है।

3 thoughts on “Safed Musli सफेद मुसली Benefits and Medicinal Uses in Hindi

  1. क्या डॉक्टर की सलह के बिना सेक्स पावर मे वृद्धी के लिये सफेद मुसळी का उपयोग क
    रसकते क्या ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*