धात्री लौह के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

धात्री लौह को पेट में दर्द, अपच, एसिडिटी, पित्त विकार, शरीर में जलन, खट्टी डकारें, अधिक पित्त के कारण होने वाले विकारों आदि में प्रयोग किया जाता है।

धात्री लौह एक आयुर्वेदिक दवा है। यह एक लौह कल्प है जिसमें लौह चूर्ण मुख्य घटक है। इसके अतिरिक्त इसमें आंवला, मुलेठी, और गिलोय है। धात्री लौह को पेट में दर्द, अपच, एसिडिटी, पित्त विकार, शरीर में जलन, खट्टी डकारें, अधिक पित्त के कारण होने वाले विकारों आदि में प्रयोग किया जाता है।

इसमें आंवला होने के कारण यह आँखों के लिए भी अच्छा है।

धात्री लौह, को बनाने के लिए, आंवला चूर्ण, लौह भस्म, और मुलेठी के चूर्ण को दिए अनुपात में मिलाया जाता है। इसको मिलकर गिलोय के काढ़े की भावना दी जाती है। चूर्ण के मिक्स को ७ दिन तक गिलोय के काढ़े में रकने के बाद धूप में सुखाया जाता है। फिर इसे अच्छे से मिलाकर कर गोलियां बना ली जाती हैं।

Dhatri Lauha is an herb and mineral containing medicine. The main ingredients in this medicine are Lauha/iron and Amla. Amla is also known as Dhatri in Ayurveda due to its rejuvenating and antioxidant properties. The combination of Iron and Vitamin C is must for iron absorption. Intake of this medicine improves digestion, and cures anemia.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

धात्री लौह के घटक | Ingredients of Dhatri Lauha in Hindi

  • धात्री Dhatri (Amalaki) (P।) 384 g
  • लौह चूर्ण Lauha churna – bhasma 192 g
  • मुलेठी Yashthimadhu raja (Yashthi) (Rt।) 96 g
  • गिलोय Amrita (Guduci) kvatha (St।) Q।S। for bhavana

धात्री लौह के लाभ | Benefits of Dhatri Lauha in Hindi

  • यह पित्त विकार को नष्ट करता है।
  • इसके सेवन से शरीर में जलन, रक्त-पित्त, आदि में आराम मिलता है।
  • यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है।
  • यह अपने ठन्डे प्रभाव के कारण गर्मी को कम करता है और अधिक गर्मी के कारण होने वाले विकारों को दूर करता है।
  • इसके सेवन से आँखे मजबूत होती है।
  • यह बालों के असमय सफ़ेद होने में भी लाभकारी है।
  • इसमें आयरन और विटामिन सी दोनों होने से शरीर में हिमोग्लोबिन लेवल की बढोतरी होती है।
  • यह कफ-पित्त दोष को संतुलित करता है।
  • यह पीलिया, पांडू, पित्त-विकार, में लाभप्रद है।
  • यह पाचन विकार को दूर करता है।
  • इसका कुछ समय तक नियमित सेवन शरीर में धातुओं की वृद्धि करता है।

धात्री लौह के चिकित्सीय उपयोग | Uses of Dhatri Lauha in Hindi

  • शूलरोग shularoga (Gastric ulcer/Duodenal ulcer/Colic)
  • परिणाम शूल (खाना खाने के बाद दर्द) parinam shula
  • पंक्तिशूल (भोजन के पचने के समय दर्द) pankti shula
  • अम्लपित्त Amlapitta (Dyspepsia)
  • अनाह Anaha (Distension of abdomen due to obstruction to passage of urine and stools)
  • मंदाग्नि Mandagni (Impaired digestive fire)
  • कब्ज़ Vishthambha (Constipation)
  • अजीर्ण, अपच, गले में जलन, खट्टी डकार
  • रक्त पित्त Raktapitta (Bleeding disorder)
  • पांडु Pandu (Anaemia)
  • कमाला Kamala (Jaundice)
  • नेत्र रोग Netraroga (Eye disorder)
  • पलित Palita (Graying of hair)

धात्री लौह के सेवन विधि और मात्रा | Dosage of Dhatri Lauha in Hindi

  • 1-2 गोली, भोजन के पहले और बाद में लें।
  • इसे शहद या घी के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

This medicine is manufactured by Baidyanath (Dhatri Lauh), Unjha (Dhatri Lauha), Sri Sri Ayurveda (Dhatri Lauha), and many other Ayurvedic pharmacies.

Comments are closed.