ओसीडी Obsessive-Compulsive Disorder in Hindi

Obsessive-compulsive disorder या ओसीडी OCD, एक तरह का मानसिक विकार है। इससे प्रभावित व्यक्ति के दिमाग में कुछ ही अवांछित विचार (Obsessions) बार बार आते हैं जिससे उसे घबराहट, चिंता या व्याकुलता anxiety रहती है और व्यक्ति इन विचारों से बाध्य हो कर बहुत कामों (compulsions) को अनगिनत बार करता है। इन कामो को करने में उसे बहुत सा समय तो लगता ही है और सामजिक रूप से भी उसे बहुत झेंप उठानी पड़ती है। पूरा दिन ऐसी ही करने से व्यक्ति बहुत अधिक तनाव में रहता है।

ओसीडी में व्यक्ति बार-बार अपने हाथ धोता है, स्टोव, स्विच को चेक करता है, दिन भर एक ही विचार से परेशान रहता है तथा अनिष्ट विचारों, भावनाओं से घिरा हुआ महसूस करता है। उन्हें भी पता है की यह विचार तर्कहीन हैं लेकिन वे इसे रोकने में वे अपनेआप को असमर्थ महसूस करते हैं।

ओसीडी के होने का कारण आनुवंशिक हो सकता है। यह विकार, परिवारों के कई सदस्यों में हो सकता है। बच्चे जिनके माता पिता, को ओसीडी है उनमें इसके लक्षण हो सकते है। ओसीडी होने पर बच्चे को होमवर्क करने, घर के काम करने में कठिनाई होती है त्तथा साथियों, भाई बहन, माता-पिता से रिश्ते तनावपूर्ण या समस्याग्रस्त हो जाते हैं। इसके अलावा, बच्चों में सिर दर्द, पेट दर्द तनाव संबंधी बीमारियों भी देखी जाती हैं।

ओसीडी में पहले ओब्सेसिव विचार Obsessions आते है, जससे एंग्जायटी होती है फिर इस एंग्जायटी को दूर करने के लिए कुछ काम किये जाते हैं जिन्हें कम्पलसिव बिहेवियर compulsions कहा जाता है। इस काम करने से कुछ आराम मिलता है और तनाव दूर होता है। लेकिन जल्द ही विचार फिर से आने लगते हैं और फिर से यही विचारो-कामों का दुष्चक्र चलने लगता है।

ओब्सेशन Obsessions फिक्स्ड विचार

  1. लगातार गंदगी, रोगाणु, के बारे में तर्कहीन चिंता
  2. सामनों को रखने की व्यवस्था, समरूपता के बारे में अत्यधिक चिंता
  3. मन में नकारात्मक विचार
  4. व्यक्तिगत नुकसान
  5. अरुचिकर धार्मिक तथा यौन विचार या छवियां

कम्पल्शन Compulsions मजबूरियां

  1. सफाई करना: बार बार हाथ धोना, स्नान, या घरेलू वस्तुओं की सफाई करना
  2. जाँच करना:: एक दिन में सैकड़ों बार करना की दरवाजे बंद हैं, स्टोव बंद कर दिया है, हेअर ड्रायर unplugged है, आदि
  3. बार बार दोहराना: वाक्यांश, या गतिविधि को बार बार करना
  4. होर्डिंग करना: बेकार वस्तुओं को फेंकने में कठिनाई
  5. बातचीत की अंतहीन समीक्षा
  6. विशेष पैटर्न में गिनती करना
  7. ओबसेशन को बेअसर करने के लिए प्रार्थना करना

ओसीडी कैसे जीवन को प्रभावित करता है?

  1. बार बार आने वाले विचारों और काम करने से स्कूल के काम, परिवार, या सामाजिक कार्य काफी हद तक प्रभावित हो सकते हैं, जैसे की :
  2. नियमित दिनचर्या में रूकावट
  3. कई घंटे इन्हीं विचारों में उलझे रहने से दिमाग का थक जाना, दूसरे काम सही से न कर पाना
  4. सिर में दर्द होना, एंग्जायटी, डिप्रेशन

ओसीडी का पता कैसे लगायें?

आम तौर पर सभी को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से जुड़े कुछ विचार आते हैं जैसे की स्टोव बंद है की नहीं, ताला लगाया की नहीं, स्विच बंद किया की नहीं, आदि। लेकिन यह विचार बहुत स्ट्रेस नहीं करते और बार बार नहीं आते। इसलिए विचारों – कामों का चक्र नहीं चलता रहता। लेकिन यदि विचार दिमाग से निकले ही नहीं और उन्हें दूर करने के लिए कुछ काम करते रहना पड़े तो व्यक्ति ज़रूर ओसीडी से प्रभावित हो सकता है।

  1. कुछ लक्षणों और प्रश्नों के उत्तर से कुछ हद तक यह पता लगाया जा सकता है की ओसीडी है या नहीं:
  2. क्या आप बार-बार हाथ धोते है?
  3. क्या आप हाथों, कपड़े, चीजों, फर्श को बहुत साफ करते हैं?
  4. क्या आप घंटों घर की सफाई में व्यतीत करते हैं?
  5. क्या आप एक ही चीज की बहुत जांच करते हैं?
  6. क्या आप एक ही चीज को बार-बार छूते या गिनते हैं?
  7. क्या एक ही विचार लगातार दिमाग में रहता है और आपको लगातार परेशान करता है तथा आप चाह के भी इससे नहीं बच पाते?
  8. क्या दैनिक गतिविधियों को समाप्त करने के लिए आप एक लंबा समय लेते हैं?
  9. क्या आप चीजों को विशेष क्रम में रखते है और चिंतित रहते हैं?
  10. क्या आपके दिमाग मे अजीबोगरीब विचार आते रहते हैं?
  11. क्या आप बहुत ज्यादा बार घर की सारी खिड़कियाँ और विद्युत उपकरण आदि को घर से निकलने से पहले चेक करते हैं?
  12. क्या आपको डर लगता है आप किसी को नुकसान न पहुचा दें?
  13. क्या आप अपने आप से लगातार बहस करते हैं कि इस कार्य को करुँ या नहीं?
  14. क्या कुछ विचारों और कामों से आप बहुत परेशान रहते हैं?
  15. क्या यह सब आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को कैसे प्रभावित कर रहे हैं?
  16. यदि इन प्रश्नों के उत्तर हाँ में हैं, तो आप को ओसीडी हो सकता है।

ओसीडी का उपलब्ध उपचार

उपचार करने कर जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। उपचार दो प्रकार का होता है, दवा के सेवन के द्वारा एवं

कोगनिटिव बेहवीयरल थेरेपी (सीबीटी) cognitive-behavioral therapy (CBT) द्वारा।

आयुर्वेद में ओसीडी के उपचार के लिए उन दवाओं का प्रयोग किया जाता है जो की शरीर में वात दोष को कम करते है और दिमाग को ताकत देते हैं। इसमें मुख्य रूप से उन औषधीय वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है जो की आयुर्वेद की प्रमुख ब्रेन टॉनिक हैं जैसे की ब्राह्मी, शंखपुष्पि, मंडूकपर्णी, आदि।

  1. ब्रह्म रसायन Brahma Rasayana
  2. ब्राह्मी वटी Brahmi Vati
  3. ब्राह्मी घृत Brahmi Ghrita
  4. दिव्या मेधा वटी Divya Medha Vati
  5. कपिकच्छू चूर्ण Kapikachchu Churna
  6. मानसमित्र वटक Manasamitra Vataka 
  7. पंचगव्य घृत Panchagavya Ghrita
  8. सरस्वतारिष्ट Saraswatarishta

दवाओं के साथ-साथ व्यक्ति को जीवनशैली में भी बदलाव करना चाहिए। योग, ध्यान, घूमना, टहलना चाहिए। ऐसे काम करने चाहिए जिससे दिमाग में इस तरह के विचार न आयें। किसी तरह की हॉबी रखें और प्राणायाम करें जिससे दिमाग को शुद्ध हवा, ऑक्सीजन मिले। घर के सदस्यों का सहयोग लें और जीवन में तनाव कम करें।

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